प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान और अत्याधुनिक तकनीक की वजह से अपने परिवार से बिछड़े 500 से अधिक बच्चे सही सलामत घर पहुंचाए गए। यह जानकारी खुद पीएम ने सोमवार (चार जुलाई, 2022) को गुजरात के गांधीनगर में हुए डिजिटल इंडिया वीक 2022 कार्यक्रम के दौरान दी। उन्होंने इस दौरान उस छह साल की मासूम का किस्सा भी सुनाया, जो जरा सी चूक की वजह से अपने परिजन से अलग हो गई थी। उन्होंने आगे यह भी बताया कि कैसे दो साल बाद उसे अपने परिवार वालों से मिलाया गया।
दरअसल, प्रोग्राम में एक प्रदर्शनी भी लगी थी, जहां पीएम की अपने संबोधन से पहले बच्ची से भेंट हुई थी। बाद में डिजिटल इंडिया (Digital India) अभियान से होने वाले फायदे, ताकत और अहमियत का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इसका संवेदनशील पहलू भी है। शायद इसकी चर्चा होती नहीं है। इस कैंपेन ने खोए हुए अनेक बच्चों को अपने परिवारों तक पहुंचाया है...यह बात अगर आप जानेंगे तो आपके दिल तो छू जाएगी। उन्होंने आगे आग्रह किया, "आप लोग यहां लगी डिजिटल इंडिया एग्जिबिशन जरूर देखिए। अपने बच्चों को लेकर भी दोबारा आइए। दुनिया कैसे बदल रही है, यह आप वहां जाकर देखेंगे तो पता चलेगा।"
किस्सा सुनाते हुए प्रधानमंत्री बोले, "मेरा वहां एक बिटिया से मिलना हुआ। वह छह साल की थी, तब अपने परिजन से बिछड़ गई थी। रेल प्लैटफॉर्म पर मां से उसका हाथ छूट गया था तो वह किसी और ट्रेन में बैठ गई थी। पर यह टेक्नोलॉजी की व्यवस्था की ताकत ही है कि आज वह बच्ची अपने परिवार के साथ अपनी जिंदगी जी रही है और अपने सपनों को साकार करने के लिए अपने गांव में कोशिश कर रही है।" पीएम ने आगे कहा- आपको जानकर अच्छा लगेगा और मेरी जानकारी है कि ऐसे अनेक स्थानों से 500 से ज्यादा बच्चे इस तकनीक के जरिए परिजन से मिलाए गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्लैटफॉर्म पर घर वालों से जिस वक्त बच्ची बिछड़ गई थी, उस वक्त वे लोग किसी परिजन के घर (दूसरे शहर में) जा रहे थे। अलग होने के बाद एक अजनबी की मदद से वह कुछ दिन तक सीतापुर के अनाथालय में रही। लड़की ने पत्रकारों को बताया, "मैं दो साल वहां (अनाथालय में) रही।"
आगे 12वीं की परीक्षा की घड़ी आई, तो कई लड़कियां घर लौटीं। पर बच्ची ऐसा न कर सकी, क्योंकि अनाथालय ने उसे लखनऊ शाखा में शिफ्ट कर दिया था। बाद में वहां अफसरों ने आधार कार्ड जारी करना चाहा, पर जांच में पता चला कि यह आईडी उसके पास पहले से ही है। उन्हीं की डिटेल्स से अनाथालय के अफसरों ने उसके घर वालों का पता लगाना शुरू किया।" बाद में उसे घर वालों से मिलाया गया।