देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसे लेकर सियासत तेज हो चुकी है. सभी की नजरें इस समय राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों पर टिकी हई है. विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. आज दिल्ली (Delhi) में विपक्ष की बैठक में सर्वसम्मति से यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर लगा दी गई है. इस बात के कयास यशवंत सिन्हा के एक ट्वीट से लगाए जा रहे थे, जिसमें उन्होंने लिखा कि एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए अब मुझे पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए. उनके इस ट्वीट के अभी मतलब निकाले ही जा रहे थे कि विपक्ष की ओर से उनका नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित कर दिया गया. जानिए कौन हैं राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के नेता यशवंत सिन्हा.
पटना यूनिवर्सिटी में रहे शिक्षक
यशवंत सिन्हा के जन्म छह नवंबर 1937 को पटना के एक कायस्थ परिवार में हुआ था. उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक बतौर शिक्षक काम किया.
पढ़ाने में नहीं लगा मन तो बने आईएएस
पटना विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफेसर काम करने के दौरान उनकी प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा हुई. लिहाजा उन्होंने इस दौरान आईएएस की तैयारी जारी रखी. 1960 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ. उन्होंने बतौर प्रशासनिक अधिकारी 24 साल तक काम किया. इस दौरान वह कई अहम पदों पर काबिज रहे. इस दौरान उन्होंने बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो साल तक सचिव और उप-सचिव के पद पर काम किया. इसके बाद उनकी नियुक्ति भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में उप-सचिव के पद पर हो गई. यशवंत सिन्हा ने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय दूतावास में अहम जिम्मेदारी भी संभाली. वह साल 1971 से 1974 तक जर्मनी में भारतीय दूतावास के पहले सचिव नियुक्त किए गए थे.
राजनीति में रखा कदम
यशवंत सिन्हा ने करीब ढाई दशक तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राजनीति में एंट्री ली. उन्होंने 1986 में जनता पार्टी ज्वाइन कर कर ली. उन्हें पार्टी का महासचिव पद दिया गया. वह 1988 में पहली बार राज्यसभा सदस्य के लिए चुने गए.
बतौर कैबिनेट मंत्री
साल 1989 में उनकी पार्टी का जनता दल से गठबंधन होने के बाद उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया. वह 1990-91 में चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री के पद पर भी रहे. फिर वह 1998 से साल 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे. उन्होंने 2002 में विदेश मंत्रालय का पद भी संभाला. यशवंत सिन्हा ने 2009 को भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. साल 2018 में बीजेपी छोड़ने के बाद 2021 में वह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए.