कहा जाता है कि नेचर को हम जितना संजोने का प्रयास करते है, वो हमारे सामने उतने ही खूबसूरत नजारे पेश करती है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए राजस्थान से एक अच्छी खबर है। सहयोगी टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार देश की सबसे बड़ी नेशनल चंबल सेंचुरी में अब घड़ियालों की संख्या में लगातार चमत्कारी बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसने यह साबित कर दिया है कि गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों का भी अच्छा फल देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि नेशनल चंबल सेंचुरी (NCS) में मध्य प्रदेश, राजस्थान और यूपी तीनों राज्यों से जुड़ा हुआ है, यह नदी तीनों राज्यों से 625km के एरिया में जुड़ी है। एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने टीओआई को बताया कि हाल ही राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य 26 स्थलों का सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें पता चला है कि 191 घोंसलों में लगभग नए 6,300 हैचलिंग हुई है। यानी घड़ियाल के नए बच्चों की अच्छी संख्या इस बार देखने को मिली है।
वन विभाग के एक अधिकारी ने टीओआई को बताया कि घड़ियाल और कछुए के घोंसलों दोनों प्रजातियां मार्च-अप्रैल में अंडे देती हैं। उन्हें आवारा कुत्तों, सियार, जंगली सूअर और कौवे से बचाना एक चुनौती रहती है। जहां भी संभव हो, शिकारियों को रोकने के लिए अक्सर कांटेदार झाड़ियों का उपयोग करते है। इन सभी उपायों के बाद प्रजनन की प्रक्रिया पूरी होती है। वहीं ऐसी लुप्त प्राय प्रजातियों को बचाया जा सकता है।
पर्यावरण और वन विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने कहा "विशाल विविधता को देखते हुए राजस्थान में इकोटूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि 2021-22 के बजट में एनसीएस को विकसित किया जाएगा और पर्यटन के बुनियादी ढांचे को उन्नत किया जाएगा। अब हम अभयारण्य को एक स्थायी और जिम्मेदार तरीके से प्रदर्शित करने की योजना पर काम कर रहे हैं , ताकि न केवल अभयारण्य की रक्षा की जा सके, बल्कि वन्यजीव उत्साही भी अब तक अनदेखे गंतव्य की खोज की सुंदरता और रोमांच का अनुभव कर सकें।