उत्तर प्रदेश (UP) में बीजेपी (BJP)  की शानदार जीत के चलते योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath ) ने दोबारा मुख्‍यमंत्री (CM) की शपथ ली. इससे पहले 2017 में वह एक अप्रत्याशित पसंद थे. दूसरी बार यूपी की सत्‍ता की बागडोर संभालने वाले योगी की छवि हिंदुत्व एक ‘पोस्टर बॉय’ मानी जाती है. इस बार अपनी सरकार प्रदर्शन और केंद्रीय नेतृत्‍व के समर्थन से एक परफर्मर लीडर के तौर पर उभरे योगी ने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. योगी ढाई दशक के अपने राजनीतिक सफर में पांच बार सांसद बने और दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली  है.


लखनऊ के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में आज शाम नारों के बीच गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने पद और गोपनीयता की शपथ ली तो भगवाधारी, कानों में कुंडल और खड़ाऊ (चरण पादुका) पहनने वाले योगी के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था. उत्तर प्रदेश में 1985 के बाद पहली बार लगातार दूसरी बार अपने दल को पूर्ण बहुमत दिलाने के साथ ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर योगी ने एक साथ कई कीर्तिमान रच दिए हैं. यह विचार योगी ने कल बृहस्पतिवार को लोकभवन में विधायक दल की बैठक में नेता चुने जाने के बाद व्यक्त किए थे. 

विधायक दल के नेता के चुनाव में बतौर पर्यवेक्षक शामिल हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को लोक भवन (मुख्यमंत्री कार्यालय) में अपने संबोधन में कहा था, आज उत्तर प्रदेश विधानसभा का एक नया इतिहास लिखने का क्षण इसी सभागार के अंदर हो रहा है. पिछले 35 सालों से किसी भी एक पार्टी को दूसरी बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. भाजपा ऐसी पार्टी है जिसने दोनों बार दो तिहाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है. 

बता दें कि मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्‍यनाथ ऐसे फैसले लिए, जिनसे हिंदुत्व के ‘चेहरे’के रूप में उनकी छवि की पुष्टि हुई. अपने कार्यकाल की शुरुआत में, उन्होंने अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगा दिया और पुलिस ने गोहत्या पर नकेल कसने का दावा किया. उनकी सरकार बाद में जबरन या धोखे से धर्मांतरण के खिलाफ पहले अध्यादेश और फिर विधेयक लेकर आई. बाद में भाजपा शासित अन्य राज्यों ने भी इसे अपने तरीके से अपनाया.

विपक्षी दल योगी पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन योगी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र सबका साथ सबका विकास का पालन करते हैं. हालांकि वह यह भी दावा करते रहे कि विकास सबका होगा, लेकिन किसी भी वर्ग का तुष्टिकरण नहीं किया जाएगा.

1. नारायण दत्‍त तिवारी के रिकॉर्ड की बराबरी

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ से पहले 1985 में नारायण दत्‍त तिवारी ने लगातार दूसरी बार शपथ ली थी. नारायण दत्‍त तिवारी ने के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और पूर्ण बहुमत मिलने पर उन्‍होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद किसी भी राजनीतिक दल को विधानसभा चुनाव में लगातार दोबारा पूर्ण बहुमत नहीं मिला.

2. ‘बुल्‍डोजर बाबा’ बन गए 5 साल में

राज्य में 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार पांच वर्षों तक योगी ने सरकार चलाई और विधानसभा चुनाव में माफिया के खिलाफ इस्तेमाल किए गए ‘बुलडोजर’ को कार्यकर्ताओं ने योगी का प्रतीक बना दिया. विरोधियों खासतौर से समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘बुलडोजर’ को लेकर निशाना साधा तो समर्थकों ने योगी को ‘बुलडोजर बाबा’की उपाधि दे दी.

3. चुनावों में मिली सफलता ने योगी का सियासी कद बढ़ाया

– विश्लेषकों के अनुसार 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने से योगी के सियासी कद को और बड़ा कर दिया है.

4. नोएडा जाकर मुख्‍यमंत्री की कुर्सी जाने का मिथक तोड़ा

योगी ने यह भी मिथक तोड़ दिया कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है उसकी कुर्सी चली जाती है. कई बार नोएडा जाने के बावजूद वह उत्‍तर प्रदेश में लगातार पिछले पांच वर्ष से मुख्यमंत्री बने रहे और दोबारा उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली. मिथकों को तोड़ने के साथ ही योगी ने अपने हिंदुत्व की छवि को और धार दी है. नि:संदेह अब उनके ऊपर 2024 के लोकसभा चुनाव का दारोमदार है.

5. योगी के संन्यासी बनने से पहले के जीवन पर नजर डालें तो 5 जून 1972 को पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में उनका जन्म हुआ.
6. योगी के पिता का नाम आनन्‍द सिंह बिष्ट था.
7. अपने माता-पिता के सात बच्‍चों में योगी शुरू से ही सबसे अलग थे.
8. स्नातक की पढ़ाई करते हुए योगी 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े.
9. 1992 में उन्‍होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक किया.

10. 1990 के राम मंदिर आंदोलन के दौर में उनका रुझान आंदोलन की ओर हुआ और इसी बीच वह गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए 1993 में गोरखपुर आए.
11. गोरखपुर में उन्हें महंत और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के अगुवा महंत अवैद्यनाथ का स्नेह मिला.
12. 1994 में योगी पूर्ण रूप से संन्यासी बन गए.
13. दीक्षा लेने के बाद अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ नाम मिला.
14. योगी को महंत अवैद्यनाथ ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया.
15. महंत अवैद्यनाथ के 12 सितंबर 2014 को ब्रह्मलीन होने के बाद योगी गोरक्षपीठ के महंत घोषित किए गए.
16. उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी नामक एक संगठन की स्थापना भी की थी.
17. योगी ने साल 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी के बैनर तले कई उम्मीदवार उतारे.
18. हिंदू युवा वाहिनी के बैनर तले गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से डा. राधा मोहन दास अग्रवाल लगातार 4 बार विजयी हुए थे.
19. योगी इस बार के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर की सीट पर योगी पहली बार विधानसभा के सदस्य चुने गए हैं.
20. राजनीति में योगी गोरक्षपीठ की तीसरी पीढ़ी हैं.
21. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ भी गोरखपुर से विधायक और सांसद रहे.
22. महंत दिग्विजय नाथ के बाद महंत अवैद्यनाथ ने भी विधानसभा और लोकसभा दोनों में प्रतिनिधित्व किया.
23. योगी गोरक्षपीठ की विरासत को आगे बढ़ाते हुए 1998 में महज 28 वर्ष की उम्र में पहली बार गोरखपुर से भाजपा के सांसद बने
24. गोरखपुर की लोकसभा सीट से योगी की लगातार 5 बार जीत का सिलसिला बना रहा.
25. मार्च 2017 में लखनऊ में भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी को विधायक दल का नेता चुना गया था.
26. 2017 में यूपी में बीजेपी विधायक दल का नेता बनने के बाद योगी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था विधान परिषद के सदस्य बने.
27. यूपी में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद नेता चुने जाने के बाद 19 मार्च 2017 को योगी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
28. योगी ने करीब ढाई दशक के राजनीतिक जीवन में पहली बार गोरखपुर से ही विधानसभा का चुनाव लड़ा और एक लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की.
29. लोकभवन में कल 24 मार्च को योगी को दोबारा भाजपा गठबंधन दल के विधायकों ने सर्वसम्मति से अपना नेता चुना.
30. लगातार पांच वर्ष के शासन के बाद आज शुक्रवार को दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.