‘दिल्ली मेट्रो इंद्रप्रस्थ स्टेशन पर अटक गई है और 20 मिनट से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन कोई अनाउंसमेंट नहीं हो रही है कि ट्रेन कब चलेगी। डीएमआरसी के अधिकारी कृपया बताएं कि अगली ट्रेन कितनी देर में मिलेगी?’ सोमवार शाम 6:34 बजे जब मनोज सैनी नाम के एक मुसाफिर ने ट्वीट कर डीएमआरसी से यह सवाल किया, उस वक्त तक शायद ही किसी को अंदाजा रहा होगा कि अगले डेढ़ दो घंटे ब्लूलाइन के मुसाफिरों के लिए कितने परेशानी भरे साबित होने वाले हैं। ऐसे में करीब डेढ़ दो घंटे तक यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी और उन्होंने सोशल मीडिया में अपने नाराजगी का इजहार किया। यमुना बैंक में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। एक ट्रेन को तीन बार खली कराया गया। वैशाली मेट्रो स्टेशन से यमुना बैंक पहुचने में 2.50 घंटे लग गए।
एक तो सप्ताह का पहला वर्किंग डे, ऊपर से शाम का पीक टाइम, जब ऑफिसों से छुट्टी के बाद हजारों लोग दफ्तर से अपने घर लौटने के लिए मेट्रो स्टेशनों का रुख करते हैं। मगर सोमवार को जो लोग मेट्रो में सवार हुए या मेट्रो लेने के लिए स्टेशन पहुंचे, उन्हें अपने घर पहुंचने में घंटों लग गए, क्योंकि अचानक मेट्रो में खराबी आ गई, जिसके चलते पूरी ब्लूलाइन पर मेट्रो सेवा अस्त व्यस्त हो गई। देखते ही देखते तमाम बड़े स्टेशनों पर लोगों की भीड़ जुटने लगी और एंट्री रोकने और ट्रेनें खाली कराने की नौबत आ गई। सबसे ज्यादा बुरा हाल यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन पर था, जहां नोएडा और वैशाली की तरफ आने-जाने वाले हजारों यात्री फंसे हुए थे। चूंकि इस स्टेशन से पैदल बाहर निकलने के बाद मेन रोड तक पहुंचने के लिए भी बहुत चलना पड़ता है और बाहर से डीटीसी या क्लस्टर की ज्यादा बसें भी नहीं मिलती हैं, ऐसे में लोग इस स्टेशन के अंदर ही फंसे रहे। भीड़ इतनी बढ़ गई कि बड़े और चौड़े प्लैटफॉर्म भी खचाखच भर गए। वैशाली और नोएडा की तरफ से आ रही ट्रेनों को यहीं खाली कराए जाने के कारण हालात और बिगड़ गए।
कुछ ऐसा ही हाल मंडी हाउस और राजीव चौक मेट्रो स्टेशन का भी था, जहां भीड़ को कोनकोर्स लेवल पर ही रोकना पड़ा। क्योंकि अंडरग्राउंड स्टेशन होने के कारण नीचे प्लैटफॉर्म पर पहले से ही काफी भीड़ जमा हो गई थी। बाराखंभा रोड पर स्टेशन के बाहर तो लोग फुटपाथ पर बैठकर ऑटो या बस का इंतजार करते नजर आए। यहां से गुजर रही बसों में भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि कई ड्राइवरों ने बसें ही नहीं रोकीं। नोएडा और वैशाली रूट पर भी जहां-तहां लोग ट्रेनों में फंसे रहे। जो ट्रेनें चल रहीं थीं, वो भी काफी रुक रुक कर चल रहीं थीं