ये दो तस्वीरें देसी जुगाड़ के जरिये हुए आविष्कार की गजब कहानी बयां करती हैं। कहते हैं कि जब कोई संकट या परेशानी सिर पर आती है, तब एक सजग आदमी का दिमाग और तेज चलता है। यानी उसके दिमाग की बत्ती जल उठती है। कोल्हू में बैल की जगह 'जुती' बाइक की पहली तस्वीर राजस्थान के बाड़मेर की है। जबकि दूसरी तस्वीर कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में सामने आई थी। आइए जानते हैं आखिर इन बाइकों के जरिए क्या महत्वपूर्ण काम हुआ। पहले जानते हैं बाड़मेर की खबर। आमतौर पर फसल जैसे तिली, सरसों आदि से तेल निकालने के लिए मशीनों का इस्तेमाल होता है। गांवों में जहां बिजली संकट है, वहां परंपरागत तरीके से कोल्हू में बैल लगाए जाते हैं। लेकिन यहां एक युवक ने बाइक को कोल्हू का बैल बना दिया। आगे पढ़िए दोनों जुगाड़ के बारे में...



उदाराम घाणी(कोल्हू) में बैल जोतने के बजाय बाइक के जरिए तिली का तेल निकाल रहे हैं। उदाराम कोल्हू का काम करते हैं। वे भीलवाड़ा में रहते हैं। लेकिन इस समय कोल्हू के काम से बाड़मेर में हैं। भीलवाड़ा से बाड़मेर तक बैल लाने में दिक्कत थी। इसलिए जिस बाइक से वे बाड़मेर आए, उसी को कोल्हू में लगा दिया। आगे पढ़िए इसी खबर के बारे में...

उदाराम बताते हैं कि कोल्हू में बैल जोतने पर उसके लिए चारा-पानी आदि का इंतजाम करना पड़ता है। यह महंगा पड़ता था। बाइक से यह काम सस्ता पड़ रहा है। उनके कोल्हू की चर्चा आसपास के कई गांवों तक फैल गई। इससे लोग तेल निकलवाने के बहाने इस कोल्हू को देखने आ रहे हैं। उदाराम ने बाइक की स्पीड कार्बोरेट के जरिये फिक्स कर दी है। इससे बाइक पर बैठकर गीयर बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। आगे पढ़ें-बिजली कटौती ने जला दी दिमाग की बत्ती, देसी जुगाड़ से बाइक के जरिये निकाल लिया ट्यूबवेल से पानी

यह आविष्कार कुछ महीने पहले मीडिया की सुर्खियों में सामने आया था। इसे दुबारा याद दिलाने का मकसद है कि अगर आपको ऐसी किसी समस्या का सामना करना पड़ा रहा है, तो आपके दिमाग की बत्ती भी जल उठे। यह आविष्कार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बड़ामलहरा में हुआ था। यहां एक कम पढ़े-लिखे शख्स ने जब देखा कि बिजली कटौती के चलते ट्यूबवेल बंद होने से लोग पानी को परेशान हैं, तो उसने दिमाग दौड़ाया। बस फिर क्या था, उसने अपनी बाइक के पिछले पहिये में थ्रेसर की बेल्ट को यूं बांधा कि उसके घूमने से ट्यूबवेल में लगा डीजल पंप चल पड़ा और पानी निकलने लगा। बाली मोहम्मद की यह बाइक मीडिया की सुर्खियों में आई थी। इस बाइक का इस्तेमाल बाली सामान ढोने से लेकर खेती-किसानी में करता आ रहा था। फिर उसने देखा कि बिजली कटौती से ट्यूबवेल का उपयोग नहीं हो पा रहा है। डीजल पंप का इस्तेमाल महंगा पड़ रहा था। वहीं, पंप पुराना और खराब हो चुका था। खेतों को सिंचाई और लोगों के लिए पीने के पानी की दिक्कत भी थी। तभी उसे बाइक के जरिये पंप चलाने का आइडिया आया। आगे पढ़ें इसी आविष्कार के बारे में..