सऊदी अरब (Saudi Arabai) ने शनिवार को आतंकवाद से जुड़े अपराध करने वाले 81 लोगों को फांसी की सजा दी है. इन लोगों को हत्या और आतंकी समूह से जुड़े होने का दोषी पाया गया है. सऊदी अरब के आधुनिक इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब इतने लोगों को मौत की सजा (Death Penalty) दी गई. इससे पहले साल 1979 में मक्का में ग्रैंड मस्जिद पर कब्जा करने के मामले में दोषी ठहराए गए 63 आतंकवादियों (Terrorists) को जनवरी 1980 में फांसी दी गई थी. अभी इसके पीछे का कारण पता नहीं चल सका है कि सऊदी ने फांसी की सजा के लिए शनिवार का दिन ही क्यों चुना है.

Saudi Arabia: हूती विद्रोही, ISIS, अल-कायदा... सऊदी अरब ने एक दिन में 81 लोगों को दी फांसी, आतंक फैलाने के बदले मिली मौत

कोरोना वायरस महामारी के दौरान सऊदी अरब में मौत की सजा के आंकड़ों में कमी आई थी. सरकारी सऊदी प्रेस एजेंसी का कहना है कि शनिवार को जिन्हें फांसी दी गई, उनमें वो भी शामिल हैं, जिन्हें ‘निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की हत्या सहित विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है.’ जिन्हें फांसी दी गई, उनमें से कई अल कायदा, इस्लामिक स्टेट समूह के सदस्य और यमन के हूती विद्रोहियों के समर्थन वाले लोग शामिल थे.

यमन में हूतियों से लड़ रहा सऊदी अरब

सऊदी अरब के नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन साल 2015 से ईरान समर्थित हूती विद्रहियों के खिलाफ यमन में जंग लड़ रहा है. ताकि यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार की बहाली हो सके. मौत की सजा पाए लोगों को लेकर अधिक जानकारी नहीं गई है, ना ही ये बताया गया है कि इन्हें किस स्थान पर फांसी दी गई. सऊदी प्रेस एजेंसी ने कहा कि दोषियों को वकील करने और सऊदी कानून के तहत अपने सभी अधिकारों को इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी.

सभी जघन्य अपराधों के दोषी पाए गए

इनके खिलाफ पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ है, जिसमें यह कई जघन्य अपराधों में दोषी पाए गए. इन अपराधों में बड़ी संख्या में नागरिक और कानून प्रवर्तन अधिकारी मारे गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सऊदी अरब आतंकवाद और पूरी दुनिया की स्थिरता के लिए खतरा पैदा करने वाली चरमपंथी विचारधाराओं के खिलाफ सख्त और अडिग रुख अपनाना जारी रखेगा.’ यह भी नहीं बताया गया कि कैदियों को कैसे मौत की सजा दी गई, हालांकि सऊदी अरब में आमतौर पर मौत की सजा पाने वाले कैदियों का सिर कलम कर दिया जाता है.