कपास बीज उत्पादन की बढ़ती लागत को देखते हुए कृषि क्षेत्र में कारोबार करने वालों ने रेट में वृद्धि का दबाव बनाया. दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि कपास की कीमतों में वृद्धि से सभी किसानों को लाभ नहीं हुआ है और न ही सभी किसानों को रिकॉर्ड रेट मिला है. किसानों का भी आरोप है कि बीज बनाने वाली कंपनियों ने भविष्य में इसकी बढ़ने वाली मांग को देखते हुए रेट में बढ़ोतरी की गई है. पिछले साल मिले अच्छे भाव की वजह से इस साल रिकॉर्ड बुवाई का अनुमान लगाया जा रहा है.
कपास के बीज की कीमतों में कितना बदलाव में आया है?
कपास बीज की कीमतों में तेजी आई है. साथ ही नई दर इसी साल से लागू कर दी जाएगी. बीज का उत्पादन करने वाली कंपनियों का तर्क है कि लागत बढ़ गई है. इसलिए बीज का जो पैकेट पिछले साल 767 रुपये का था, वो अब 810 रुपये में उपलब्ध होगा. यानी किसानों पर डीजल, खाद और कीटनाशकों की महंगाई के बाद अब बीज की महंगाई का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. बीज कंपनियां भी इस दौर में मुनाफा कमाने का मौका नहीं गंवाना चाहतींं जब किसानों को कपास का दाम 10 और 11 हजार रुपये क्विंटल मिल रहा हो.
इस साल कपास का रकबा भी बढ़ेगा
कृषि विभाग का अनुमान है कि कपास की रिकॉर्ड कीमत और वर्षों से घट रहे रकबे में इस साल बदलाव आएगा. इसके पहले कपास को कभी भी 11,000 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत नहीं मिली थी. लेकिन इस साल रेकॉर्ड भाव मिला है इसलिए किसान इस समय कपास की खेती पर ध्यान देंगे.वो इसके दायरा बढ़ाएंगे. लातूर के कृषि अधीक्षक दत्तात्रेय गावासने का कहना है कि अगर बीज की कीमत बढ़ भी जाती है तो इससे क्षेत्र पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उसमें कमी नहीं आएगी. किसान केवल उत्पादन में वृद्धि और उच्च रेट की उम्मीद करते हैं.