भारत में हर 3 मिनट में टीबी से दो मरीजों की मौत होती है, लेकिन अब टीबी से घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि जरूरत सही समय से इसकी पहचान करके उपचार की है। करीब 40 साल के बाद अब टीबी की दो नई दवाओं को यूएसएफडीए से मंजूरी मिली है। जयपुर के श्वसन रोग संस्थान में जल्द इन नई दवाओं से टीवी का उपचार शुरू होगा। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक भारत से टीबी के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य रखते हुए नेशनल स्ट्रेटजी प्लान बनाया है।
![tb day](https://new-img.patrika.com/upload/2018/03/22/tb.jpg)
श्वसन रोग संस्थान के प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र खिप्पल ने कहा कि टीबी के इलाज के लिए बीडाक्यूलीन और डेलामिनीद दो नई दवाओं के प्रयोग को मंजूरी मिली है। बीडाक्यूलीन नाम की दवा एक एटीपी सिंथेटेस इन्हीबीटर है, जो टीबी के बैक्टीरिया के मेटाबॉलिज्म पर अटैक करके उसे खत्म कर देती है। यह दवा कुछ दिनों में ही बैक्टेरियल एनर्जी को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम है। डॉ. खिप्पल ने कहा कि टीबी के उन्मूलन के लिए इसकी सही समय से पहचान कर सही इलाज करना बेहद जरूरी है। तभी इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।
टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभ्रांशु ने कहा कि अतिसूक्ष्म जीवाणु माइकोबैक्टेरियम ट्यूवरक्यूलाई के कारण टीबी की बीमारी होती है। यह महिलाओं में बांझपन का बढ़ा कारण भी है। टीबी की महिला रोगी को प्रैग्नेंसी से बचना चाहिए। भूख नहीं लगना या कम लगना, अचानक वजन कम हो जाना, बैचेनी और सुस्ती रहना, सीने में दर्द का अहसास होना, थकावट रहना, हल्का बुखार होना, खांसी में बलगम या बलगम में खून आना, घुटने में दर्द समेत कई अन्य लक्षण टीबी होने के संकेत हो सकते हैं। ऐसे लक्षण होने पर रोगी को चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए और जांच में रोग की पुष्टि होने पर समय से इलाज लेना चाहिए।
फेफड़े के कैंसर और टीबी के लक्षणों में समानता होती है। इस कारण कई बार फेफड़े के कैंसर की पहचान और उपचार में देरी हो जाती है। सही समय पर पहचान नहीं होने से रोगी को कैंसर मुक्त करना काफी मुश्किल हो जाता है। रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नरेश जाखोटिया ने कहा कि फेफड़े के कैंसर के अधिकांश रोगी बीमारी की शुरुआती अवस्था को टीबी मानकर उसका उपचार कराते हैं, लेकिन रोग के फैलने के बाद कैंसर की पहचान होती है। कफ, लंबे समय तक बुखार, सांस का फूलना जैसे लक्षण टीबी और फेफड़े के कैंसर दोनों ही बीमारियों में होते हैं। दोनों रोगों का सामान्य कारण धूम्रपान होता है। ऐसे में दोनों ही रोगों की सही पहचान कर सही उपचार की जरूरत होती है।