भारत बंद का ऐलान होने के बाद कई सेक्टर्स इसके समर्थन में सामने आ गए हैं. बैंक के अलावा कई सेवाएं कल बाधित रहेंगी. आपको बता दें यह भारत बंद सरकार की नीतियों के मुखालिफत को लेकर जा रही है. स्ट्राइक कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि मौजूदा सरकार की नीतियां कर्मचारी विरोधी, किसान विरोधी, जनता विरोधी और राष्ट्रविरोधी हैं. लेकिन इस हड़ताल के साथ एस्मा कानून का नाम भी सामने आ रहा है. आज हम आपको बताने वाले हैं कि एस्मा कानून क्या होता है और सरकार इसका इस्तेमाल कैसे कर सकती हैं.


क्या होता है एस्मा?
एस्मा की फुलफोर्म होती है  एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट. इसे हिंदी में ‘अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून’ भी कहा जाता है. जब भी कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो इस कानून का जिक्र आता ही है. इस कानून को हड़ताल को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह कानून ज्यादा से ज्यादा 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है. आपको बता दें इस कानून को लगाने से पहले सरकार को कर्मचारियों को एक नोटिफिकेशन देना पड़ता है.

क्यों लगाया जाता है एस्मा
सरकारें अकसर ये फैसला जब लेती हैं तब कर्मचारियों की स्ट्राइक से ज़रूरी सर्विसेज पर बुरा असर पड़ रहा हो. यह एक्ट जिस सेवा पर लगाया जाता है उस सर्विस के कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते. अगर कोई कर्मचारी इस एक्ट का पालन नहीं करता है तो उसे 6 महीने की जेल या ढ़ाई सौ रुपये पेनल्टी या दोनों हो सकते हैं.

आपको बता दें 28 और 29 मार्च 2022 को कई सेक्टर्स के कर्मचारियों ने भारत बंद का ऐलान किया है. इस भारत बंद में सभी बैंकिग सेवाएं बाधित हो सकती हैं. इसके अलावा ट्रांसपोर्ट, रोडवेज और बिजली विभाग के इमप्लोइज ने भी भारत बंद के फैसले का समर्थन किया है.