सऊदी अरब के गृहमंत्रालय ने घोषणा की है कि एक दिन के अंदर 80 से अधिक लोगों को फांसी दे दी गयी।

जिन लोगों को फांसी दी गयी उन पर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने और इसी प्रकार अपराधों को अंजाम देने का आरोप है।



सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेन्सी वास ने इस देश के गृहमंत्रालय के हवाले से रिपोर्ट दी है कि आज शनिवार को जिन लोगों को फांसी दी गयी फांसी दिये जाने से पहले उन्हें यह बताया गया कि उन पर आरोप क्या हैं।

सऊदी अरब के गृहमंत्रालय के दावे के अनुसार जिन लोगों को फांसी दी गयी वे शैतान के अनुयाई, गुमराह, विदेशों से संबंध रखने वाले और आतंकवादी कार्यवाहियों में लिप्त थे। जिन लोगों को फांसी दी गयी उनमें सात यमनी थे जबकि एक सीरियन नागरिक था और शेष सऊदी नागरिक थे।

समाचार एजेन्सी नबा के अनुसार जिन लोगों को फांसी दी गयी उनमें 40 लोग शिया आवासीय क्षेत्र अलक़तीफ़ के रहने वाले थे।

जानकार हल्कों का मानना है कि इस समय मानवाधिकार की रक्षा का राग अलापने वाले समस्त देश और संगठन खामोश हैं क्योंकि ये फांसियां अमेरिका के पिछलग्गू देश ने दिया है और वहां डेमोक्रेसी  और लोकतंत्र नाम की चीज़ नहीं है और अगर यही काम अमेरिका की वर्चस्ववादी नीतियों के विरोधी किसी दूसरे देश ने अंजाम दिया होता तो अब तक पूरी दुनिया में मानवाधिकार की रक्षा के दावेदारों की आवाज़ सुनाई देती और वे यह कहते नहीं थकते कि मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।

इसी प्रकार इन हल्कों का मानना है कि यह पश्चिम के मानवाधिकार की रक्षा के दोहरे मापदंड का नतीजा है जो सऊदी अरब सुरक्षा परिषद की अनुमति के बिना 26 मार्च 2015 से यमन की निर्दोष जनता के खून से होली खेल रहा है और मानवाधिकारों की रक्षा के समस्त ठिकेदार मूक दर्शक बने हुए हैं और हमलावर देश को विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस भी कर रहे हैं।