महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक बेहद दुखद घटना सामने आई है। यहां 6 साल के बेटे की मौत के बाद एम्बुलेंस नहीं मिलने पर एक आदिवासी पति-पत्नी को अपने बच्चे के शव को बाइक पर ले जाने को मजबूर होना पड़ा। दोनों तकरीबन 40 किलोमीटर तक एक तकिया के सहारे बच्चे को बाइक पर लेकर हॉस्पिटल से अपने गांव पहुंचे। खास यह है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना 73वें गणतंत्र दिवस के दिन हुई है। इस घटना का एक वीडियो सामने आने के बाद अब अधिकारी मामले की जांच की बात कह रहे हैं।


जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को ठंड लगने के बाद अजय वाई पारधी(6) नाम के बच्चे को सरकारी उप-जिला सुविधा, कुटीर अस्पताल, जवाहर में एडमिट करवाया गया। जहां इलाज के दौरान अजय ने दम तोड़ दिया। अस्पताल की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पिता युवराज पारधी पत्नी के साथ बेटे के शव को लगभग 40 किलोमीटर दूर सदकवाड़ी गांव तक बाइक से जाने को मजबूर हुए।

हॉस्पिटल की सफाई-एम्बुलेंस को शव ले जाने के लिए नहीं दे सकते
परिवार का आरोप है कि हॉस्पिटल के पास तीन एम्बुलेंस थी, लेकिन हॉस्पिटल ने उसे देने से मना कर दिया। कुटीर अस्पताल के सीएमओ डॉ. रामदास मराड ने इस विवाद के बाद कहा कि हमारे पास एम्बुलेंस जरुर थी, लेकिन कोविड के बढ़ते केस को देखते हुए हमने शवों को लेजाने का काम रोक दिया है। मैं देर रात तक परिवार की मदद को तैयार था, मैंने एक प्राइवेट एम्बुलेंस भी बुलाई थी। हालांकि, बाद में यह जानकारी मिली कि एम्बुलेंस वाला बहुत पैसे मांग रहा था और परिवार से खुद इसमें जाने से मना कर दिया।

इसी बाइक पर बच्चे को लेकर हॉस्पिटल से गांव तक पहुंचे माता-पिता।

पोस्टमार्टम के डर से भी बच्चे को बाइक पर ले गए

142 बेड वाले इस कॉटेज हॉस्पिटल में कोई शव वाहन नहीं है। इस मामले को लेकर एक थ्योरी यह भी सामने आ रही है कि हॉस्पिटल की ओर से माता-पिता को शव के साथ सुबह तक रुकने के लिए कहा गया, उन्हें ऐसा लगा कि बच्चे का पोस्टमार्टम करने के लिए हॉस्पिटल उसके शव को रोक रहा है। इसी डर से वे आननफानन में गांव के लिए चल पड़े।