Cabinet Meeting Today: केंद्र सरकार आज केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को होली का तोहफा दे सकती है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting) होने वाली है. इस बैठक में सरकार केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती है. केंद्र सरकार के कर्मचारी भी महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) बकाया और हाउसिंग रेंटल अलाउंस (HRA) के लिए में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं. आपको बता दें कि डीए, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दिया जाने वाला कॉस्ट ऑफ लिविंग अलाउंस जनवरी और जुलाई में साल में दो बार बढ़ाया जाता है.



अभी केंद्रीय कर्मचारियों को 31 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. होली से पहले महंगाई भत्ते में 3 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद कुल महंगाई भत्ता बढ़कर 34 फीसदी हो जाएगा. डीए में बढ़ोतरी पर सरकार की घोषणा सातवें वेतन आयोग की सिफारिश पर आधारित होगी. 2006 में केंद्र सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते की गणना के लिए फॉर्मूला बदल दिया.

68 लाख पेंशनर्स को भी होगा फायदा

अगर सरकार आज इस बारे में फैसला करती है तो इससे 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 68.62 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा. केंद्र सरकार अगर कर्मचारियों के डीए में 3 फीसदी की बढ़ोतरी करती है तो यह वृद्धि 1 जनवरी 2022 से प्रभावी होगी. कोविड-19 महामारी के बावजूद केंद्र सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 28 फीसदी से बढ़ाकर 31 फीसदी कर दिया था.

इस आधार पर तय होता है DA

महंगाई भत्ता कर्मचारियों के वेतन के आधार पर दिया जाता है. शहरी, अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों में नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता अलग-अलग होता है. डियरनेस अलाउंस (DA) की गणना मूल सैलरी पर होती है. महंगाई भत्ते की गणना के लिए एक फॉर्मूला तय किया गया है, जोकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से तय होता है.

आपको बता दें कि डियरनेस अलाउंस कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. महंगाई भत्ता इसलिए दिया जाता है कि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारियों को अपना जीवन-यापन करने में कोई परेशानी न हो. हर साल जनवरी और जुलाई में डीएम में बदलाव किया जाता है. इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस कहते थे. भारत में मुंबई में साल 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.