सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ह्दयरोग विभाग की ओपीडी में हर माह दो हजार मरीज दिल का दर्द लेकर पहुंच रहे हैं। जिसमें प्रतिदिन 30 से 40 भर्ती हो रहे। पहले की तुलना में अब 40 साल से कम उम्र के युवाओं में दिल के दौरा की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। बुजुर्गों की अपेक्षा युवाओं को खतरा अधिक रहता है। कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं कि लाइफस्टाल, खानपान में रिफाइंड अधिक खाने लगे हैं। भागदौड़ जिंदगी के बीच इग्जाम आदि का प्रेशर अधिक रहता है। नशा, स्मोकिंग के कारण छोटी उम्र में बीमारियां बढ़ रहीं हैं।

Caution: Heart attack is increasing among youth due to this type of lifestyle, 3 out of 7 die during attack
Caution: Heart attack is increasing among youth due to this type of lifestyle, 3 out of 7 die during attack
बुजुर्गों की अपेक्षा 40 से कम उम्र के युवाओं में हार्ट अटैक

अगस्त में हर रोज 30-40 मरीजों में 40 साल से कम उम्र के मरीज आने लगे हैं। बुजुर्गों की अपेक्षा 40 से कम उम्र के युवाओं में हार्ट अटैक के दौरान खतरा अधिक रहता है। 100 मरीजों में औसत सात से आठ मरीज 40 साल से कम उम्र के होते हैं। जिसमें 7 में से 3 की मौत हो रही है। बुजुर्गों की तुलना में युवाओं में बचने की संभावना कम रहती है।
स्मोकिंग के कारण 35 साल के युवा की अटैक से मौत
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 35 साल के युवा को दिल का दौरा पडने पर भर्ती कराया गया। चिकित्सको ने जांच के दौरान ही मृत घोषित कर दिया।ं चिकित्सकों को जांच के दौरान स्मोकिंग के अधिक लक्षण मिले।
ऐसे करें बचाव
अगर आपको कुछ खास लक्षण दिखें तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। नींद न आना, सांस लेने में दिक्कत, बहुत ज्यादा थकान, अनियमित दिल की धडक़न और पैरों में सूजन हो सकते हैं। इन लक्षणों पर गौर करें, फौरन डॉक्टर को दिखाएं। विशेषज्ञों ने अगाह किया है कि इन लक्षणों का इग्नोर नहीं न करें। कमोवेश ऐसे ही लक्षण टीवीकलाकर सिद्धार्थ शुक्ला के लिए जानलेवा हो गया। रात में अचानक दर्द उठने पर समय से इलाज नहीं मिल सका।
फैक्ट फाइल---अगस्त माह-2021
हर माह औसत 1600-2000 पहुंच रहे मरीज
हर माह 300 से अधिक ह्दयरोगी हो रहे भर्ती
900 मरीजों का कराया गया इको
92 ह्दयरोगियों का एंजियोप्लास्टी
200 से अधिक ह्दयरोगियों की एंजियोग्राफी

--वर्जन...लाइफस्टाल, रिफाइन, फैट अधिक खाने, स्मोकिंग, नशे के कारण कम उम्र में यंग हार्ट अटैक खतरा बढ़ रहा है। सांस फूलने, सीने में मामूली दर्द आदि लक्षण आए तो जांच करना चाहिए। जांच न कराएं तो ईको जरूर कराएं। जिससे पता चल जाता है। समय से इलाज मिल जाए तो दिल के दौरा से बचा जा सकता है। कई बार लोग पेट में गैस बन रही आदि के कारण जांच नहीं कराते हैं। ऐसे में खतरा बढ़ जाता है।