हिन्दू धर्म में पंचदेव बताए गए हैं, इनकी पूजा हर काम की शुरुआत में की जाती है। ये पंचदेव हैं, श्रीगणेश, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्य देव। सूर्य देव एक मात्रा साक्षात् दिखाई देने वाले देवता हैं। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार रोज सुबह इनकी पूजा करने से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रोज सुबह सूर्योद्य के समय अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। जानिए गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित संक्षिप्त भविष्य पुराण अंक के ब्राह्मपर्व के अनुसार सूर्य पूजा से जुड़ी कुछ खास बातें…

> रोज सुबह सूर्य को पहली बार देखते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र : ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम: आदि। ब्राह्मपर्व के सौरधर्म में सदाचरण अध्याय के अनुसार जो लोग सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं, उन्हें सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए।
> घर से बाहर कहीं जाते समय जब भी सूर्य मंदिर दिखाई दे तो सूर्यदेव को प्रणाम जरूर करें। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
> सूर्य के लिए रविवार को गुड़ का दान करना चाहिए। जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए। गिरते जल की धारा में सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए।
> जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में नहीं है, उन्हें सूर्य को रोज चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्य के दोष दूर हो सकते हैं। सूर्य देव की कृपा से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
> अगर आप ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं या पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो सूर्यदेव को गुरु मानकर उनकी पूजा रोज करें। अगर आप तांबे से बनी सूर्य की प्रतिमा घर में रखेंगे और रोज उसके दर्शन करेंगे तो आपकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं।