हे हनुमान तुमने मेरी सेवा करने के लिए ये वानर रूप ही क्यू चुना.?
तब हनुमान जी ने बड़ी हे विनम्रता से प्रभु श्री राम को उत्तर दिया कि
हे भगवन एक बार आपने नारद मुनि को अपने प्रताप से वानर रूप दे उन्हें भाव बंधन से उबारा था, बस यही सोच कर कि यदि में वानर रूप में प्रभु की सेवा करूँ तो माया मुझे इस संसार रुपी बंधन में कभी नहीं बाँध पायेगी. और में सदा सदा के लिए आपकी भक्ति और सेवा पूरी श्रद्धा भाव से करता रहूँगा.
हनुमान जी का भक्ति और प्रेम भाव देख कर प्रभु बोले कि..
हे हनुमान तुम शंकर जी के अवतार हो और लीला द्वारा मेरी सेवा का भार लिए हुए हो, मैं तुम्हे वर देता हूँ की तुम चिर काल तक मेरी भक्ति करते रहो और कलयुग में यदि कोई प्राणी सच्चे प्रेम भाव से तुम्हारी भक्ति करेगा मैं स्वयं उसकी सभी मनोकामना पूरी करूँगा..
।।बोलिये रामभक्त हनुमान की जय।।
।।जय श्री राम।।
नवीन मिश्रा , मंडला