प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद 3000 रुपए पेंशन मिलती है. योजना के तहत जितना कंट्रीब्यूशन हर महीने लाभार्थी करता है, उतना ही सरकार उसमे मिलाती है. यानी अगर आपका कॉन्ट्रिब्यूशन 100 रुपए है तो सरकार भी इसमें 100 रुपए मिलाएगी. लेकिन जल्द सरकार इसको लेकर बड़े कदम उठाने जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, छोटे व्यापारियों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए मौजूदा वॉलेंटरी पेंशन स्कीमों को सरकार ईपीएफओ के तहत लाने की योजना बना रही है. इन वॉलेंटरी पेंशन स्कीमों में प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन और नेशनल पेंशन स्कीम शामिल हैं. इन दोनों स्कीमों को अधिक आकर्षक बनाने के मकसद से श्रम मंत्रालय इस योजना को अमलीजामा पहनाना चाहता है. इन्हें और ज्यादा सरल भी बनाया जाएगा. लॉन्च होने के कई साल बीत जाने के बाद भी ये स्कीमें बहुत सब्सक्राइबरों का ध्यान खींच पाने में विफल रही हैं.
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने अंग्रेजी के अखबार इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन और ट्रेडर्स तथा सेल्फ इम्प्लॉयड के लिए नेशनल पेंशन स्कीम को ईपीएफओ के प्रशासनिक नियंत्रण में लाने के बारे में विचार हो रहा है. इसके अलावा कई और विकल्पों पर चर्चा चल रही है. इनमें से एक दोनों स्कीमों को ईपीएफओ के दायरे में लाने का है. दूसरा विकल्प यह है कि ईपीएफओ इन व्यक्तियों के लिए अपना कवरेज बढ़ाने की खातिर क्या बिल्कुल नया कर सकता है.संस्थान के हस्तक्षेप के बगैर ईपीएफओ को इंडिविजुअल कॉन्ट्रिब्यूशन को हैंडल करने का अनुभव नहीं है. लिहाजा, काफी ज्यादा तैयारी की जरूरत पड़ेगी.
असंगठित क्षेत्र के मजदूर की इनकम 15,000 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए. सेविंग बैंक अकाउंट या फिर जन-धन अकाउंट की पासपोर्ट और आधार नंबर होना चाहिए. उम्र 18 साल से कम और 40 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. पहले से केंद्र सरकार की किसी अन्य पेंशन स्कीम का फायदा नहीं उठाया रहा हो.
अपने हिस्से का योगदान (किश्त) करने में चूक होने पर पात्र सदस्य को ब्याज के साथ बकाए का भुगतान करके कंट्रीब्यूशन को नियमित करने की अनुमति होगी. यह ब्याज सरकार तय करेगी. योजना से जुड़ने की तारीख से 10 साल के अंदर स्कीम से निकलने का इच्छुक है तो केवल उसके हिस्से का योगदान सेविंग बैंक की ब्याज दर पर उसे लौटाया जाएगा.अगर पेंशनभोगी स्कीम से 10 साल बाद लेकिन 60 साल की उम्र से पहले निकलता है तो उसे पेंशन स्कीम में कमाए गए वास्तविक ब्याज के साथ उसके हिस्से का योगदान लौटाया जाएगा. किसी कारण से सदस्य की मौत हो जाने पर जीवनसाथी के पास स्कीम को चलाने का विकल्प होगा. इसके लिए उसे नियमित योगदान करना होगा. इसके अलावा अगर इस योजना के तहत पेंशन पाने वाली की 60 साल के बाद मौत हो जाती हैं तो उसके नॉमनी को 50 फीसदी पेंशन मिलेगी.60 साल की उम्र से पहले अस्थायी रूप से विकलांग होने पर स्कीम में योगदान करने में समर्थ है तो उसके पास स्कीम के वास्तविक ब्याज के साथ अपने हिस्से का योगदान लेकर स्कीम से निकलने का विकल्प होगा.