बिहारशरीफ में नौकरी दिलाने के नाम पर युवकों को ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। नौकरी पाने आये दो युवकों ने शक होने पर बिहार थाने को इसकी सूचना दी, जिसके बाद बिहार थाने की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन ठगों को गिरफ्तार कर लिया है। शहर के रेलवे स्टेशन से सटे गंगानगर मोहल्ले में खोले गये ऑफिस को भी सील कर दिया गया है। एसडीपीओ निशीत प्रिया ने बताया कि गिरोह के तार राजधानी पटना से जुड़े हैं। कई अन्य धंधेबाजों की पहचान की गयी है। एक साल से चल रहा था ऑफिस:- डीएसपी ने बताया कि पुलिस ने ठगी की शिकायत पर रेलवे स्टेशन के पास गंगानगर मोहल्ले के एक घर में छापेमारी की। वहां एक रिहाइशी घर के छोटे से कमरे में ऑफिस चलाया जा रहा था। वहां से जमुई जिला निवासी दीपेश कुमार व बिहार थाना क्षेत्र के उपरौरा गांव निवासी विकास कुमार व संजय कुमार को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से पम्पलेट, फर्जी ज्वाइनिंग लेटर आदि कागजात जब्त किये गये हैं। 



इस गिरोह से जुड़े दो युवकों सोनू व रंजीत की पहचान हुई है। इसका मास्टरमाइंड पटना में रहता है। पुलिस अनुसंधान में लगी है। जल्द ही उनको भी गिरफ्तार किया जायेगा। जब्त पम्पलेट में पतंजलि में नौकरी दिलाने और हर माह साढ़े तेरह हजार रुपये वेतन देने की बात लिखी गयी है। कैसे हुआ खुलासा :- दानापुर निवासी किशन कुमार ने नौकरी के लिए पम्पलेट में दिये नंबर पर सम्पर्क किया था। फोन पर उसे जरीरी कागजात के साथ बिहारशरीफ बुलाया गया था। शनिवार को किशन अपने एक दोस्त के साथ बिहारशरीफ स्टेशन पर उतरा और दिये गये नंबर पर फोन किया। फोन पर उसे वहीं रहने को कहा गया। कुछ ही देर में एक युवक आया और उन्हें गंगानगर स्थित ऑफिस में ले गया। किशन ने बताया कि वहां छह-सात लोग एक छोटे से कमरे में मौजूद थे। 

ऑफिस व उनके कर्मियों की हालत देखकर उसे शक हुआ। पूछताछ करने पर उसे तुरंत ज्वाइनिंग लेटर देने का वादा किया और ड्रेस के लिए 1250 रुपये की मांग की। इसपर किशन ने वहां मौजूद कर्मी से वेतन आदि के बारे में पूछताछ करनी शुरू कर दी। पूछताछ के दौरान उसे व वहां मौजूद दानापुर के ही समीर को भी शक हो गया। समीर 1250 रुपये दे चुका था और लेटर का इंतजार कर रहा था। शक होने पर उसने रुपये वापस मांगे तो कर्मी ने कहा कि रुपये नहीं मिलेंगे। इस बात पर किशन व समीर बाद में आने का बहाना कर वहां से निकल गये और बिहार थाने की पुलिस को पूरी बात बतायी।