हिमाचल प्रदेश में मानसून ने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया है। मानसून के इस रूप का कहर टूटा है सूबे के कांगड़ा जिले पर। जहां बादल फटने से भारी तबाही मची है। नाले उफान पर आ गए हैं जो अपने साथ गाड़ियों, मकानों, पेड़ों और पुलों समेत कई सारी चीजों को बहाकर ले जा रहे हैं। इसके ढेरों वीडियोज सामने आए हैं, जो कि सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहे हैं। 



पर्यटन स्‍थल भागसू नाग में कई वाहन बह गए हैं। मंडी पठानकोट हाईवे पर राजोल में गज खड्ड पर बना पुल क्षतिग्रस्‍त हो गया है। यहां पुलिस तैनात कर दी गई है व वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी है। हाईवे पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं। कुछ वाहन चालक वैकल्पिक मार्ग से आवाजाही कर रहे हैं। लेकिन संपर्क मार्गों पर ल्‍हासे गिरने से आवाजाही मुश्किल हो गई है।

बाढ़ की वजह से भागसू नाग में छोटा नाला ओवरफ्लो हो गया। पानी बढ़ने की वजह से नाला विकराल नदी में तब्दील हो गया। नाले के पास मौजूद होटलों को भी बाढ़ की वजह से काफी नुकसान हुआ है। वहीं वहां पर अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है। बता दें कि रविवार देर रात से हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश हो रही है। गर्मी से राहत मिलने के साथ ही लोगों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

इसके साथ ही मांझी खड्ड भी पूरी तरह से उफान पर है। उफान में चल रही मांझी खड्ड से चैतडू स्थित अन्य राज्यों की लोगों की झुग्गियां भी बहा दी हैं। अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि मजदूरों ने जलस्तर बढ़ने से पूर्व अपने झुग्गियां खाली कर दी थीं या नहीं, लेकिन झुग्गियां तो पूरी तरह से साफ ही हो गई हैं। वहीं शिला स्कूल में पानी में पूरी तरह से भर गया है। इसी तरह बनेर और चरान खड्ड भी उफान पर हैं।


देर रात से भारी बारिश होने के कारण पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेलमार्ग पर ज्वालामुखी रोड (रानीताल) कांगड़ा रेलवे स्टेशनों के बीच ल्हासे गिरने से रेल ट्रैक आठ स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है। सोमवार से रेलगाडि़यों की आवाजाही पठानकोट से ज्वालामुखी रोड तक ही रही। रेलवे इंजीनियरों की माने तो रेल ट्रैक को बहाल करने में दो या तीन दिन लग सकते हैं।