मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, कम उम्र में मोटे होने के कारण बच्चे भी कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं, साथ ही बढ़ता वजन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। जर्नल पीडियाट्रिक्स में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 6 से 11 वर्ष की आयु के अधिकांश बच्चे मोटे होते हैं।


आपको बता दें कि अमेरिका में हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने किंडरगार्टन से पांचवीं कक्षा तक जाने वाले बच्चों पर शोध किया है, साथ ही शोधकर्ताओं ने इन बच्चों के वजन और ऊंचाई के जरिए बॉडी मास इंडेक्स भी निकाला है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध के कुछ अंक इस प्रकार है


वर्ष 1998 में, केवल 73 प्रतिशत किंडरगार्टन बच्चों के पास सही बीएमआई था, और 2010 में उनकी संख्या गिरकर 69 प्रतिशत हो गई। 1998 में, 15 प्रतिशत किंडरगार्टन बच्चे अधिक वजन वाले थे, जबकि अन्य 12 प्रतिशत मोटे थे। अपनी रिसर्च में शोधकर्ताओं ने बताया की मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।


बच्चों में मोटापे के कारण: आपको बता दें कि इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि कोविड-19 महामारी के आने के बाद मोटे बच्चों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई है. शोधकर्ताओं के मुताबिक बच्चों में वजन बढ़ने का कारण स्क्रीन पर ज्यादा समय देना भी होता है।

महामारी के दौरान बच्चों ने अपनी पढ़ाई कंप्यूटर या लैपटॉप के जरिए ही की है और इस वजह से बच्चे 7-8 घंटे तक स्क्रीन के सामने रहते थे। डॉक्टर जेनिफर फ्रांसेशेली होस्टरमैन का कहना है कि तकनीक के विकास ने बच्चों के स्वास्थ्य पर भी असर डाला है। तकनीक के कारण बच्चों की शारीरिक गतिविधियां भी कहीं न कहीं कम हो गई हैं, इन सबके कारण छोटे बच्चे भी मोटे हो रहे हैं।