विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल की थोक कीमतों में गिरावट (Edible Oil Price) आई, जबकि मंडियों में आवक कम होने के बीच सरसों तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर टिके रहे। बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग दो प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट है।



सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक निरंतर घटने लगी है और लगभग ढाई लाख से 2.70 लाख बोरी की रोजाना आवक है जबकि पिछले साल जून में यह लगभग पांच लाख बोरी थी। बरसात के साथ सरसों की मांग बढ़ेगी और जिस तरह से इस बार आरंभ से सरसों की खपत बढ़ी है, उससे आगे जाकर सरसों के मामले में दिक्कतें आ सकती हैं। आयातित तेलों के महंगा होने तथा बाकी तेलों के मुकाबले सस्ता होने के कारण इस बार सरसों का भारी मात्रा में रिफाइंड बना और आयातित तेलों की कमी को सरसों की नयी पैदावार से रिफाइंड बनाकर पूरा करने की कोशिश की जाती रही।


सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तेल-तिलहन, पामोलीन, सीपीओ, मूंगफली, सूरजमुखी तेलों के थोक भाव में काफी नरमी आई है लेकिन सरकार को इस बात की ओर ध्यान देना होगा कि जमीनी स्तर पर इस गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं को मिल रहा है या नहीं। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस वस्तुस्थिति की ओर ध्यान नहीं दिया तो देश में तेल-तिलहन उत्पादन नहीं बढ़ पायेगा। सरकार को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ में महंगे दामों पर उपभोक्ताओं को की जाने वाली बिक्री को रोकने के लिए सख्ती बरतनी होगी।