मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बाड़ी कस्बे में मंगलवार को पूरे परिवार द्वारा सामूहिक आत्महत्या की सनसनीखेज घटना घटित हुई है। यहां एक सराफा व्यापारी ने पत्नी और 2 बच्चों को जहर दिया और खुद फिर फांसी के फंदे से झूल गया। पति-पत्नी और एक बच्चे की मौत हो गई है। जबकि एक बच्चे की हालत गंभीर है। उसका भोपाल में इलाज चल रहा है।



मिल रही जानकारी के अनुसार वार्ड नं. 8 के रहने वाले जितेंद्र सोनी (35) ने पत्नी रिंकी (32), बेटे वैष्णव (12) और कार्तिक (10) को जहर दे दिया। इसके बाद खुद ने भी फांसी लगा ली। हिंगलाज मंदिर रोड पर जितेंद्र की बालाजी ज्वेलर्स नाम की एक दुकान है। पत्नी रिंकी, बेटे वैष्णव और व्यापारी की मौत हो गई। वहीं छोटे बेटे कार्तिक को प्रारंभिक उपचार के बाद गंभीर हालत में भोपाल रेफर किया गया, जहां इलाज की बात कही गई है।

फैल गई सनसनी
पूरे परिवार द्वारा सामूहिक आत्महत्या की जानकारी मिलते ही नगर और पूरे क्षेत्र में सनसनी फैली हुई है। इस बडी वारदात के कारणो को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। घटना की जानकारी मिलते ही सराफा व्यापारी के घर के बाहर लोगों की भीड़ लग गई। समाचार लिखे जाने तक पुलिस मौके पर पहुंचकर कार्यवाही कर रही है। इस संबंध में जानकारी चाहने पर पुलिस द्वारा कहा गया है कि जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

संपन्न है परिवार
हिंगलाज मंदिर रोड पर बालाजी ज्वेलर्स के नाम से सोने—चांदी की दुकान करने वाले जितेंद्र का परिवार संपन्न बताया जा रहा है। बताया गया है कि दो मंजिला घर और कार है। दुकान भी अच्छी चलती थी। तीन भाइयों में जितेंद्र सबसे बड़ा था। दो छोटे भाइयों में से एक मुंबई और दूसरा भोपाल में काम करता है। सामने आ रही जानकारी के अनुसार सुसाइड नोट भी मिला है। इससे आात्महत्या का कारण सामने आ जाएगा।

यह लिखा है सुसाइड नोट में
मैं बहुत परेशान हूं। मेरा बिजनेस भी खत्म सा हो रहा है। कुछ समझ ही नहीं आ रहा क्या करना है। मैं अपनी पत्नी और बच्चों से बहुत प्यार करता हूं। मैं ऐसी जिंदगी नहीं जी सकता। मैं बहुत सोचकर कदम उठा रहा हूं। मैं अकेला चला गया तो मेरे परिवार का क्या होगा। यह जमाना बहुत बेकार है। इसमें किसी की गलती नहीं है। किसी को भी परेशान नहीं किया जाए। इन सबका जिम्मेदार मैं खुद हूं और सबसे बड़ा जिम्मेदार वो जो मेरे परिवार की ब्लॉक वाली जमीन दे। जो मेरे परिवार वालों को अबतक नहीं मिली। कब तक सरकार से लड़ें, पीढ़ियां निकल रही हैं, पर देखने वाला कोई नहीं है। अगर सही समय पर निर्णय होता, तो हो सकता था कि मैं कभी ऐसा करने की नहीं सोचता। मेरी बात सरकार तक पहुंचाने में मेरी मदद करें। जमीन मेरे परिवार को मिले, जिससे उनकी स्थिति ठीक हो। घर वालों को कभी मुझसे ऐसी उम्मीद नहीं होगी लेकिन मेरे सामने कोई और रास्ता नहीं दिख रहा। मुझे माफ कर देना। नीरज, पंकज मम्मी-पापा जी का अच्छे से ध्यान रखना। उन्हें कोई परेशानी ना हो। उन्हें अपने साथ ले जाना। जिससे लोगों की बातें उन्हें ना सुननी पड़े।