मप्र में नदियों को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए सरकारी, धार्मिक, राजनीतिक और समाजिक स्तर पर रह-रहकर अभियान चलाया जाता है। लेकिन सारे अभियान असफल साबित हो रहे हैं, क्योंकि प्रदेश की लगभग सारी नदियां प्रदूषण की चपेट में हैं।



कई नदियों का पानी तो जहरीला हो गया है। देश में मां के समान पूजित नदियां इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इनमें से मप्र से उद्गम करने वाली कई नदियां भी शामिल हैं। दरअसल सभ्यता की जननी नदियां, उद्योगों की लापरवाही और राज्य व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनदेखी से मृतप्राय सी हो रही हैं।

नर्मदा नदी तो डिंडोरी में बुरी हालत में है। उज्जैन के नागदा में केमिकल फैक्ट्री से निकलने वाला जहर चंबल में जा रहा है। सीहोर में सीवन नदी में बहता पानी नजर ही नहीं आ रहा।

इस पर काई जमी है। औद्योगिक इकाइयां जहरीले पानी बिना ट्रीट किए नदियों में बहा रही हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्रवाई के बजाय फाइलें अलमारी में बंद कर रहा है।

नाला ट्रैपिंग की योजना

अमरकंटक में बरसों से नाला ट्रैपिंग की योजना बनाई जा रही है। नाले के गंदे पानी को नर्मदा में जाने से रोकने के लिए कई बार चर्चा हुई। डिंडोरी से भी गंदे पानी को नर्मदा में मिलने से रोकने पर बात चली, लेकिन सब फाइलों में ही रह गई। अधिवक्ता सम्यक जैन ने बताया, करीब 6 बड़े नाले डिंडोरी में ही नर्मदा में मिल रहे हैं।

नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने डिंडोरी नर्मदा घाट पर नाला ट्रैपिंग की बात कही थी। घोषणा के बाद भी जिला प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव भी गुम हो गया।

चंबल का जल बना जहर

नागदा शहर व क्षेत्र की जीवन रेखा चंबल नदी को उद्योग के पानी ने जहरीला बना दिया है। शहर के तीन बड़े उद्योग ग्रेसिम, केमिकल डिवीजन व लैक्सेंस उद्योग से प्रतिदिन निकले करोड़ों लीटर जहरीले पानी से शहर की जीवन रेखा चंबल नदी अपना अस्तिव खो रही है।

नागदा में चंबल के पास की मिट्टी खराब हो गई है। चूने की सफेद परत जमा है। नागदा के मो. रंगरेज ने बताया, कई बार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नागदा और उज्जैन में शिकायत की, पर नतीजा सिफर रहा।

23 मार्च को सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद बोर्ड की टीम जांच करने पहुंची थी।