आम लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती (duty cut on petrol and diesel) करने के साथ ही कई उपायों की घोषणा की है। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में ऐसे और कई कदम उठाए जा सकते हैं। सरकार खाद्य तेल (edible oil) और इंडस्ट्रीज में काम आने वाले कच्चे माल पर आयात शुल्क (import duty) कम करने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) देश में महंगाई की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। कॉमर्स मिनिस्ट्री से ऐसे आइटम्स की लिस्ट मांगी गई है जिन पर इंपोर्ट ड्यूटी में कमी की जा सकती है। खाद्य तेल के साथ-साथ दूसरी जरूरी चीजों पर आयात शुल्क में कमी की जा सकती है। साथ ही इंडस्ट्री में काम आने वाले कच्चे माल पर भी इंपोर्ट ड्यूटी कम करने पर विचार चल रहा है।


सूत्रों के मुताबिक महंगाई पर लगाम लगाने के लिए एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) में भी कटौती पर विचार चल रहा है। कुछ चीजों के आयात पर यह सेस लगाया जाता है। सरकार महंगाई पर लगाम लगाना चाहती है ताकि ब्याज दरों को कम रखा जा सके। ब्याज दर बढ़ने से इकनॉमिक रिकवरी के पटरी से उतरने का खतरा है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और प्रधानमंत्री कार्यालय की पिछले हफ्ते बैठक हुई थी। इसमें कीमतों पर काबू करने के उपायों पर चर्चा हुई। इससे आने वाले दिनों में देश में कई चीजों की कीमत में कमी आ सकती है और लोगों को महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है। अप्रैल में खुदरा महंगाई आठ महीने के रेकॉर्ड पर पहुंच गई थी। देश में बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट (repo rate) में 40 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की थी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी से कहा कि सरकार का लक्ष्य महंगाई में 60-70 बेसिस पॉइंट्स की कमी करना है। इसलिए एक बार फिर कई चीजों पर ड्यूटी में कटौती की जा सकती है। अप्रैल में खुदरा महंगाई 7.79 फीसदी पर पहुंच गई थी जो इसका आठ महीने का उच्चतम स्तर है। पाम ऑयल पर इम्पोर्ट ड्यूटी पहले ही घटाकर न्यूनतम कर दी गई है। सरकार अब राइस ब्रान, कैनोला, पाम कर्नेल और ओलिव ऑयल समेत दूसरे खाद्य तेलों पर लगने वाले 35 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी को कम करने पर विचार कर रही है। इससे पाम ऑयल पर निर्भरता में भी कमी आएगी।