कश्मीर में एक और टारगेट किलिंग (Target Killing) हो गई है। इस बार निशाना  कुलगाम की टीचर रजनी बाला (Rajani Bala) बनीं हैं। आतंकवादी किस तरह आम लोगों को निशाना बना रहे हैं, इसे इसी तरह समझा जा सकदा है कि 12 मई को कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट (Rahul Bhatt) की हत्या के बाद 5 और निर्दोष नागिरकों की हत्या कर दी गई हुई है। जबकि इस महीने कुल 7 लोग टारगेट किलिंग का शिकार हुए हैं। आतंकवादी आम लोगों को निशाना बनाकर, एक बार फिर से ऐसी कोशिश में हैं कि लोगों के अंदर दहशत फैल जाय। और कश्मीर में केंद्र सरकार के उस दावे के फेल कर सकें, जिसमें वह कश्मीर में हालात सामान्य होने की बात कर रही है।



मई में सबसे ज्यादा टारगेट किलिंग

साल 2022 में अगर टारगेट किलिंग और आतंकियों के हमलों को देखा जाय तो मई को महीने में सबसे ज्यादा आतंकियों ने आम लोगों को निशाना बनाया है। अकले मई में 7 लोगों की मौत हुई है।  इस दौरान 4 आम नागरिकों की हत्याएं हुई हैं, जबकि 3 पुलिस कर्मी शहीद हुए हैं। जबकि जनवरी से मई तक 16 लोग आतंकियों के शिकार हुए हैं। 

  • 12 मई: कश्मीरी पंडित और सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की कार्यालय में घुसकर हत्या की।
  • 13 मई: पुलवामा में पुलिसकर्मी रियाज अहमद ठोकर आतंकियों का निशाना बने और बलिदान हो गए।
  • 18 मई: बारामूला में ग्रेनेड हमले में के.रंजीत सिंह की मौत हो गई।
  • 24 मई: श्रीनगर में पुलिस कर्मी सैफ कादरी को उनके घर के बाहर निशाना बनाया।
  • 25 मई : टीवी कलाकार अमरीन भट्ट की हत्या कर दी गई।
  • 31 मई:  कुलगाम में टीचर रजनी बाला की हत्या।

इसके अलावा 7 मई को एक पुलिस कर्मी पर आतंकियों ने  हमला किया था।

पिछले साल से बढ़ी टारगेट किलिंग

जम्मू और कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद से जिस तरह सुरक्षा बलों ने आतंकियों का सफाया किया, उसके बाद से आतंकियों ने अपनी रणनीति बदल ली है। साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार अगस्त 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद से 17 मई तक 530 आतंकी मारे गए हैं। ऐसे में आतंकियों ने दहशत फैलाने के लिए हाइब्रिड आतंकवादी का सहारा लिया है। जिसमें वह छोटे हथियारों से टारगेट किलिंग कर दहशत फैलाने का काम कर रहे हैं। हाइब्रिड आतंकवादी वे होते हैं जो आम तौर पर सामान्य जीवन जीते  हैं। इनका कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहता है। ऐसे में उनकी पहचान मुश्किल है। ऐसे में आतंकवादी इनके जरिए छोटे हथियारों यानी पिस्टल आदि से हमला कराते है। 

और इसी रणनीति को अंजाम देना पिछले साल अक्टूबर में श्रीनगर में फार्मासिस्ट माखनलाल बिंद्रू की आतंकियों ने उनके मेडिकल स्टोर में घुसकर हत्या करने के साथ शुरू किया है। जिसमें कश्मीरी पंडितों और गैर मुस्लिमों को आतंकियों ने ज्यादातर निशाना बनाया है। अक्टूबर से लेकर मई तक आतंकियों ने 34 आम नागरिकों की हत्या की है।

स्टिकी बम नया खतरा

कश्मीर में आतंकियों की मदद के लिए पाकिस्तान अब ड्रोन को हथियार बना रहा है। बीते रविवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पाक सीमा के करीब तल्ली हरिया चक इलाके में ड्रोन के जरिए भारत की सीमा में भेजे जा रहे सात स्टिकी बम के पेलोड और इतने ही अंडर बैरल लॉन्चर ग्रेनेड को मार गिराया गया है। असल में  पिछले एक साल से पाकिस्तान की कोशिश है कि वह आतंकियों को स्टिकी बम पहुंचाए। जिससे वह जम्मू और कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम दे सके। 

पिछले एक साल में हाल ही में सुरक्षा बलों को स्टिकी बम की खेप पकड़ने में कामयाबी हासिल हुई है। पिछले साल फरवरी में बीएसएफ ने सांबा जिले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन से गिराई गई एक खेप को जब्त कर था, जिसमें इन-बिल्ट मैग्नेट के साथ 14 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) शामिल थे। इन्हें वाहनों पर चिपकाकर और एक टाइमर और रिमोट के जरिए स्टिकी बम के रूप में इस्तेमाल करने की योजना थी। उसके बाद अगस्त और सितंबर में स्टिकी बम पूंछ जिले में जब्त किए गए थे। इसके अलावा 28 अप्रैल को जम्मू के सिधारा बाईपास पर भी स्टिकी बम जब्त किया गया था।

स्टिकी बम को विस्फोट के लिए किसी वाहन में चिपकाया जाता है। आकार में यह बेहद छोटे होते है और आसानी से आतंकी इसको वाहन और संवेदनशील जगह पर लगा देते हैं।स्टिकी बम को आईईडी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। और इसको फटने में सिर्फ 5 से 10 मिनट लगते हैं और नुकसान बहुत बड़ा होता है। विस्फोट के लिए रिमोट का इस्तेमाल होता है।