बिहार (Bihar) के माउंटेन मैन दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) की कहानी तो आप जानते होंगे, क्योंकि अब तो उन पर फिल्म भी बन जा चुकी है, लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीधी (Sidhi) के वाटर मैन के बारे में बताने जा रहे हैं. इस वाटर मैन की कहानी भी बिल्कुल दशरथ मांझी तरह अनोखी और चट्टान जैसे मजबूत इरादे वाली है. दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी की याद में छैनी और हथौड़ा से 25 फीट ऊंचे पहाड़ का सीना चीरकर 360 फीट लंबे और 30 फीट चौड़ी सड़क बना दी थी.



 
उन्होंने अपने गांव गहलौर में पहाड़ खोदकर रास्ता बनाया था, जिसके बाद उन पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी के लीड रोल वाली 'दशरथ मांझी- द माउंटेन मैन' के नाम से फिल्म भी बनी थी. अब पत्नी से प्रेम में पराक्रम का ऐसा ही मामला सीधी जिले में सामने आया है. बरबंधा गांव के हरी सिंह ने पहाड़ का सीना चीरकर कुआं खोद दिया. वाटर मैन हरी सिंह की कहानी भी दशरथ मांझी जैसी ही रोचक है. 40 साल के हरि सिंह बताते हैं कि पत्नी सियावती को हमेशा पीने का पानी लाने के लिए परेशान होना पड़ता था. वह दो किलोमीटर दूर से पानी लेकर आती थी. पत्नी की यह परेशानी उससे देखी नहीं गई.
 
तीन साल में खोदा 60 फीट गहरा कुआं
 
इसके बाद हरि सिंह ने चट्टानों वाली जमीन पर कुआं खोदने का फैसला किया. हरि सिंह ने तीन साल की पहाड़तोड़ मेहनत के बाद 20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा कुआं खोद दिया, हालांकि अभी कुएं में थोड़ा सा पानी ही निकला है, लेकिन खुदाई अभी भी जारी रखी है. हरि सिंह को कुएं में ज्यादा पानी मिलने की उम्मीद है. वाटर मैन हरी सिंह ने बताया कि शुरू में यह काम कठिन लग रहा था, क्योंकि पत्थरों में कुआं खोदना आसान नहीं था. खुदाई के दौरान बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन पत्नी को रोज होने वाली तकलीफ से निजात दिलाने के लिए इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं था.
 
मजदूरी करके घर चलाते हैं हरि सिंह
 
हरि सिंह ने बताया कि पत्नी की परेशानी देखकर ही उन्होंने ठान लिया कि कुआं तो खोदकर ही रहेंगे. उन्होंने कहा कि जब तक जरूरत के हिसाब से पानी नहीं मिल जाता, तब तक कुआं खोदने का काम जारी रहेगा. हरी सिंह के पास 50 डिसमिल जमीन का पट्टा है और मजदूरी करके घर चलाते हैं. बाकी खाली समय में वे कुआं खोदते हैं, हालांकि उन्हें इस बात का रंज है कि उन्हें शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है.