कहते हैं मनुष्य अगर अपने क्रोध पर काबू कर ले तो जग जीत सकता है। वहीं, अगर एेसा नहीं कर सकता तो विनाश तय है। ठीक इरह मुंह से निकली बात आैर बंदूक से निकली गोली वापस नहीं आती। अगर आ सकती तो शायद आज उन संरक्षित 292 मगरमच्छों को बचा लिया गया होता, जिन्हें भीड़ ने बदले की भावना में एक झटके में अपनी तलवार से काट दिया।
शख्स के अंतिम संस्कार के बाद यूं लिया गया बदलाजी हां, ये चौंका देने वाली ये घटना इंडोनेशिया की है। यहां मगरमच्छ का शिकार बने एक व्यक्ति की मौत का बदला लेने के लिए गुस्साई भीड़ ने करीब 300 मगरमच्छों को मार डाला। बदले की आग में मगरमच्छों को मारने की यह घटना शनिवार को पापुआ प्रांत में शख्स के अंतिम संस्कार के बाद घटी। लोगों ने शख्स का कि्रया कर्म करने के बाद तुरंत उन बेकसूर मगरमच्छों से बदला लिया।
कैसे हुई शख्स की मौत ?
बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति अपने पशुओं के चारे के लिए घास ढूंढने गया था जब वह मगरमच्छों के एक बाड़े में गिर गया। मगर ने मृतक सुगिटो के एक पैर को काट लिया था और एक मगरमच्छ के पिछले हिस्से से टकराकर उसकी मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति अपने पशुओं के चारे के लिए घास ढूंढने गया था जब वह मगरमच्छों के एक बाड़े में गिर गया। मगर ने मृतक सुगिटो के एक पैर को काट लिया था और एक मगरमच्छ के पिछले हिस्से से टकराकर उसकी मौत हो गई।
गांव में खबर पहुंचते ही निकली तलवारें
जैसे ही खबर उसके गांव में पहुंची। पूरा का पूरा गांव झील पर पहुंच गया। गुस्साई भीड़ धारदार तलवारों और चाकुओं के साथ पहुंची और झील के सारे मगरमच्छों को मौत के घाट उतार दिया। वहां 292 मगरमछ पल रहे थे।
जैसे ही खबर उसके गांव में पहुंची। पूरा का पूरा गांव झील पर पहुंच गया। गुस्साई भीड़ धारदार तलवारों और चाकुओं के साथ पहुंची और झील के सारे मगरमच्छों को मौत के घाट उतार दिया। वहां 292 मगरमछ पल रहे थे।
2013 से मगरमच्छों की इस प्रजाति को बचाने के मकसद से पाला जा रहा था
इंडोनेशिया द्वीपसमूह में मगरमच्छों की कई प्रजातियों समेत विभिन्न वन्यजीव पाए जाते हैं। मगरमच्छों को संरक्षित जीव माना जाता है। इस फार्म में साल 2013 से मगरमच्छों की इस प्रजाति को बचाने के मकसद से पाला जा रहा था।
इंडोनेशिया द्वीपसमूह में मगरमच्छों की कई प्रजातियों समेत विभिन्न वन्यजीव पाए जाते हैं। मगरमच्छों को संरक्षित जीव माना जाता है। इस फार्म में साल 2013 से मगरमच्छों की इस प्रजाति को बचाने के मकसद से पाला जा रहा था।