ग्रामीण इलाकों में आज भी अंधविश्वास चरम पर है। बच्चों की सलामती के लिए अजीब-अजीब रस्में निभाई जातीं हैं। कुछ ऐसी ही एक रस्म झारखंड और पड़ोसी ओडिशा के कुछ इलाकों में होती है। जिसके बारे में सुनकर आपको  अजीब लगेगा। यहां बच्चों की शादी जानवरों से कराई जाती है। ताकि अपशकुन कट जाए और बच्चा को लंबी जिंदगी मिले।


गांव वाले के मुताबिक अगर किसी बच्चे के ऊपरी जबड़े में 10 महीने में पहला दांत निकले तो इसे अशुभ माना जाता है। फिर इस अपशकुन से निपटने के लिए पूरे विधि-विधान से से कुतिया या कुत्ते से उनकी शादी कराई जाती है। यह अंधविश्वास झारखंड सहित पड़ोसी ओडिशा के कुछ जिलों में भी कायम है। पुरानी परंपरा के तहत ऊपर के दांत निकलने पर बच्चों की शादी पशुओं से कराई जाती है।


अगर लड़का होता है तो उसकी शादी कुतिया से और लड़की होने पर उसकी शादी कुत्ते से होती है। खास बात है कि शादी पूरे धूम-धाम से होती है। पूरे गांव के लोग जुटते हैं। विवाह की तरह इसका भी गांववालों को न्यौता जाता है। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम और ओडिशा के क्योंझर व मयूरभंज जिले में सबसे ज्यादा इस परंपरा का पालन होता है। गांववाले बताते हैं कि जबड़े के ऊपरी हिस्से में पहला दांत निकलने पर बच्चे पर मृत्युदोष का खतरा मंडराता है।


इस खतरे को टालने के लिए पशुओं से शादी कराई जाती है। यही नहीं कभी-कभी पेड़ से भी बच्चों की शादी कराई जाती है। इसे स्थानीय भाषा में ‘दैहा बपला’ कहते हैं। मान्यता है कि इन शादियों से बच्चे पर मंडराता खतरा पशुओं और पेड़ों पर चला जाता है।