21 वी सदी होने के बावजूद भारत में कुछ ऐसी प्रथाएँ और परम्पराएं है, जो रुढ़िवादी होने के साथ अंधविश्वास को भी बढ़ावा देती है. 



यह अंधविश्वास इंसान को कुरीतियों से जोड़ने के साथ, हमारे समाज को दुनिया के सामने तमाशा भी बना देते है. ऐसी प्रथाएं इस सदी में भी अंधविश्वासों की मजबूती को प्रमाणित करती है.

इन्ही अंधविश्वासों में से एक अन्धविश्वास के चलते  बच्चियों की शादी कुत्तों से करा देते है.

तो आइये जानते है कहा है यह बच्चियों की शादी कुत्तों से कराने की परम्परा !

  • झारखंड के कुछ इलाकों में बच्चियों की शादी कुत्तों से कर दी जाती है.
  • झारखंड के इन इलाकों में यह परम्परा आज की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परम्परों में से एक है.
  • यह विवाह – बच्चियों की शादी कुत्तों से –  पुरे हिन्दू रीती-रिवाज से और धूमधाम से कराया जाता है.
  • सारे मेहमान सामाज और रिश्तेदारी को न्यौता भेजा जाता है. मंडप सजाया जाता है. हलवाई बुलाकर पकवान बनाया जाता है.
  • विवाह मंडप के नीचे, पंडित मंत्र पढ़कर एक लड़की को कुत्ते के साथ पूरे विधि विधान से विवाह कराता है.
  • यह विवाह कुछ अंधविश्वास को मान्यता देते हुए कराई जाती है.
  • इस विवाह के पीछे गाँव और सामाज वालों का तर्क अशुभ ग्रह, नक्षत्र और भूतों का साया बताया जाता है.
  • जब किसी बच्ची के ऊपरी मसूड़ों का प्रथम  दांत आता है, तो  इसका तात्पर्य उस बच्ची पर अशुभ ग्रह, नक्षत्र  का प्रभाव माना जाता है और उस ग्रह के प्रभाव को दूर करने हेतु दूसरे दांत के आने से पहले उस बच्ची का विवाह कुत्ते से करा देते है.
  • बच्चियों का काला रंग बदसूरत दिखने पर भूत का साया समझा जाता है और इस स्थिति में भी बच्ची का विवाह कुत्ते से करा देते हैं. ताकि बच्ची पर से भूत का साया उतर जाए और उसको नज़र ना लगे .
  • ऐसा एक विवाह आदित्यापुर के पास सराईकेला नाम के एक गांव में 10 साल की बच्ची पुष्पा का विवाह कुत्ते के साथ करा दिया गया, जिसकी तस्वीर सोशल साइट पर वाइरल हुई थी.
  • यह बच्चियां कम उम्र और नासमझ होने के कारण कुछ बोल भी नहीं पाती क्योकि उनको इतनी समझ ही नहीं होती कि उनके साथ क्या हो रहा है और उनको किस परम्परा में धकेला जा रहा है .

बच्चियों की शादी कुत्तों से  – ऐसी परम्पराएं ही इंसान को आज भी रुढ़िवादी सोच से जकड़ी हुई है, जो सारी दुनिया में भारत को हास्यास्पद बनाती है.