सदर अस्पताल में एक अज्ञात शव की पहचान के बाद उसे स्वजन को सौंपने के एवज में  पोस्टमार्टम कर्मी ने 50 हजार रुपये मांगे। स्वजन गांव लौटे और घर-घर जाकर राशि जुटाने के लिए भीख मांगने लगे। इसका वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया। अवकाश पर रहते हुए भी डीएम योगेंद्र सिंह ने सिविल सर्जन को तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया है। हालांकि, सिविल सर्जन ने पैसे मांगने के आरोपों को निराधार बताया है। कहा कि शव वाहन से युवक का शव उसके गांव भेज दिया गया।  



मुसरीघरारी थाना पुलिस ने छह जून को एनएच- 28 से बेझाडीह जाने वाली पीसीसी सड़क पर एक शव बरामद किया था। अज्ञात शव की मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट तैयार करने के बाद सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। पहचान नहीं होने पर 72 घंटे तक सुरक्षित रख दिया गया। बुधवार को मृतक के स्वजन सदर अस्पताल पहुंचे। शव को देख ताजपुर थाना क्षेत्र के कस्बे आहर गांव निवासी महेश ठाकुर के पुत्र संजीव ठाकुर के रूप में पहचान की गई। आरोप लगाया कि पहचान के बाद पोस्‍टमार्टम हाउस के कर्मी ने 50 हजार रुपये की मांग की। इसके बाद स्वजन गांव लौटे। बेटे का शव लाने के लिए महेश ठाकुर लोगों से भिक्षा मांगकर पैसे जुटाने लगे। 

हालांकि, पोस्टमार्टम कर्मी नागेंद्र मल्लिक ने बताया कि अज्ञात शव कमरे में सुरक्षित रखा था। दो लोग पहचान करने पहुंचे थे। उन्हें शव दिखाया तो पहचान हो गई। शव मांगने पर पन्नी व कपड़ा लाने के बाद थाना जाने को कहा। बिना पुलिस के कहने पर शव देने से इन्कार किया। रुपये मांगने का आरोप गलत है। सिविल सर्जन डा. एसके चौधरी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम कर्मी से पूछताछ की गई है। कर्मी ने राशि की मांग से इन्कार किया। मुसरीघरारी पुलिस द्वारा आवेदन देने के बाद शव वाहन से शव घर भेज दिया गया है। 

उधर, प्रभारी जिलाधिकारी सह अपर समाहर्ता विनय कुमार राय ने कहा कि रुपये मांगने का आरोप बेबुनियाद है। प्रशासन ने शव की शिनाख्त होने पर उसे घर तक पहुंचाया। छह जून को मुसरीघरारी थाना पुलिस ने एक अज्ञात शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया। 7 जून को कुछ लोग आए।  पोस्टमार्टम कर्मी से कहा कि शव उसके परिवार का है, दीजिए। पोस्टमार्टम कर्मी ने कहा कि 50 हजार रुपये दीजिएगा तब भी शव नहीं देंगे। पुलिस ने शव लाया था, वही दे सकती है। वीडियो वायरल होने के बाद उन्होंने खुद सदर अस्पताल जाकर जांच की। सिविल सर्जन भी साथ थे। यदि दाह संस्कार के लिए स्वजन के पास पैसे नहीं थे तो सदर अस्पताल उपाधीक्षक, सिविल सर्जन, डीपीएम, या फिर हमसे मिलकर कहते। सरकार के पास बहुत सारे फंड हैं। गौरतलब है कि सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम कर्मी द्वारा पिछले महीने भी मृतक के स्वजन से सौदेबाजी का वीडियो वायरल हुआ था। जांच टीम ने कर्मी को दोषी करार दिया था। फिर भी उसे नहीं हटाया जा रहा है।