105 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बोरवेल में फंसे राहुल को सेना के जवानों की मदद से आखिरकार बाहर निकाल लिया गया। मंगलवार देर रात बोरवेल से निकालने के बाद 11 साल के राहुल साहू को टनल के मुहाने पर पहले प्राथमिक उपचार दिया गया। फिर उसे इलाज के लिए अपोलो अस्पताल ले जाया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सबसे लंबे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद राहुल को सुरक्षित निकाले जाने पर रेस्क्यू टीम में शामिल सभी अधिकारी-कर्मचारियों को बधाई दी है। इस पूरी रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग स्वयं भूपेश बघेल कर रहे थे।



रेस्क्यू ऑपरेशन में 300 अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम पांच दिनों से लगी हुई थी। राहुल के निकाले जाने से पहले ही मेडिकल टीम और एंबुलेंस को तैयार रखा गया था। घटनास्थल से अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर भी पहले से बनाया गया था ताकि बिना देर किए उसे इलाज मिल सके। राहुल की मां भी वहां मौजूद थीं। एंबुलेंस में अपने बेटे के साथ वे भी अस्पताल पहुंची।

छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में शुक्रवार को बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में राहुल गिर गया था। करीब 60 फीट गहरे गड्ढे से उसे बाहर निकालने में चट्टान के चलते काफी दिक्कतें आईं। उसे निकालने के लिए रविवार और शनिवार को रोबोटिक रेस्क्यू ऑपरेशन का पहला चरण सफल होने के बाद टनल बनाने का काम चालू किया गया। सुरंग बनाने के लिए कुसमुंडा मनेद्रगढ़ के एसईसीएल के अधिकारियों से चर्चा की गई। उनकी सलाह से अनुसार खुदाई का काम शुरू किया गया।

पिहरीद गांव का राहुल अपने घर के पीछे खेलते समय शुक्रवार दोपहर को बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। जैसे ही जिला प्रशासन को इस घटना की सूचना मिली, देर शाम से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला की अगुवाई में जिला प्रशासन की टीम पिहरीद गांव में पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत की गई।

गुजरात से रोबोट इंजीनियर और ओडिशा से एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया
राहुल को सुरक्षित निकालने के लिए युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला और एसपी विजय अग्रवाल ने राहुल के परिजनों से मुख्यमंत्री की बात कराई। सीएम के निर्देश पर शनिवार को गुजरात से रोबोट इंजीनियर को बुलाया गया। ओडिशा से एनडीआरफ की टीम को भी बुलाया गया।