मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है और यह वर्तमान समय में बहुत ही दुर्लभ बीमारी है। इसके लक्षण दाने और फ्लू जैसे ही होते हैं। मंकीपॉक्स वायरस के बारे में कहना है कि यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस के परिवार से आता है। यह स्माॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।



हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तुलना में कम गंभीर होते हैं। लेकिन इसकी मनुष्यों में इसकी शुरुआत फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होती हैं। इस बीमारी में व्यक्ति के चेहरे और शरीर पर दाने निकल आते हैं। जबकि सीडीसी के मुताबिक चिकनपॉक्स की समस्या में शरीर पर दाने और छाले हो जाते हैं। ये दाने खुजली, द्रव से भरे फफोले में बदल जाते हैं। दाने पहले छाती, पीठ और चेहरे पर दिखाई दे सकते हैं और फिर संक्रमण बढ़ने के साथ मुंह, पलकों या जननांग सहित पूरे शरीर में फैल सकते हैं।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल अफ्रीकी देश में करीब एक दर्जन से अधिक लोग मंकीपॉक्स से प्रभावित होते हैं। इसमें से सबसे अधिक केस कांगो से रिपोर्ट होते हैं। 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के 47 केस सामने आए थे। आइए इस बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में जानते हैं।

मंकीपॉक्स एक ऐसा वायरस है जो कि आम तौर पर जंगली जानवरों में पाया जाता है। हाल ही में इसके कई मामले विदेशों में देखे गए हैं। डबल्यूएचओ के अनुसार इस बीमारी की पहचान पहली बार साल 1958 में हुई थी। उस वक्त कुछ बंदरों पर रिसर्च किया जा रहा था रिसर्चर के मुताबिक बंदरों में चेचक जैसी बीमारी हुई थी, जिसके बाद इसे मंकीपॉक्स का नाम दे दिया गया। डबल्यूएचओ के मुताबिक इस बीमारी का मनुष्यों में पहली बार संक्रमण 1970 के दशक में हुआ था। इस दौरान कांगों में एक 9 साल के बच्चे को सबसे पहले यह बीमारी हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून या फिर उसके फर को छूने से हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहों और गिलहरियों द्वारा भी बड़ी तेजी के साथ फैलता है।

मंकीपॉक्स के लक्षणों की बात करें तो मंकीपॉक्स होने के सप्ताह भर के अंदर संक्रमित व्यक्ति बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान जैसे लक्षण का अनुभव करते हैं। कई गंभीर मामलों में लोगों के चेहरे और हाथों पर दाने और घाव भी हो सकते हैं जो कि शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकते हैं। इसलिए ऐसा कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

लक्षण दिखने के बाद मंकीपॉक्स आमतौर पर 5 से 20 दिनों के बीच ठीक हो जाता है। इस मामले में ज्यादातर लोगों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है। लेकिन डबल्यूएचओ के मुताबिक 10 में से एक व्यक्ति के लिए मंकीपॉक्स घातक हो सकता है और बच्चों के केस में इसे गंभीर माना जाता है। ऐसे में इससे सावधान रहना बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक चेचक के टीकों का मंकीपॉक्स पर भी प्रभाव रहता है। फिलहाल मंकीपॉक्स को लेकर एंटीवायरल दवाएं भी विकसित की जा रही हैं।