कोरोना महमारी के बीच दुनियाभर में एक और गंभीर बीमारी दस्तक दे रही हैं, जिससे वैज्ञानिक हैरान और परेशान हैं। इस बीमारी का नाम है मंकीपॉक्स (MonkeyPox) और बीते 13 मई को इसका पहला केस सामने आया। अब तक बीते दस दिन में, 12 देशों में इस बीमारी के 92 केस सामने आ चुके हैं। विशेष रूप से यह बीमारी यूरोप और उत्तर अमरीकी देशों में तेजी से बढ़ रही है। विकसित देशों में हो रहे इसके प्रसार को देखते हुए दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंतित हैं और इसकी वजह जानने में जुटे हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इसे अभी महामारी की श्रेणी मे नहीं रखा है।  


वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने रविवार को कहा कि 21 मई को दोपहर 1 बजे तक 92 प्रयोगशालाओं में इन मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 28 अन्य संदिग्ध मामलों की जांच की जा रही है। अभी तक 12 देशों ने सूचित किया है कि उनके यहां मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं। हालांकि, इसके संक्रमण और प्रसार को देखते हुए फिलहाल इसे एनडेमिक में रखा गया है यानी इसने महामारी का स्वरूप धारण नहीं किया है। 

 

 

हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने इस बात पर चिंता जताई है कि जिस तरह मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। ऐसे में इस पर करीब से नजर रखी जा रही है और रोकथाम के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से अपील भी की है कि वे अपने यहां निगरानी करें और जैसे ही मामले सामने आएं, तो इसको सूचित करें, जिससे उनके यहां रोकथाम के लिए ऐहतियाती कदम उठाए जा सकें। 

किस देश में कितन केस, स्पेन की हालत गंभीर

डब्ल्यूएचओ की ओर से दी  गई जानकारी के अनुसार, अभी आस्ट्रेलिया में कनफर्म केस 1 से 5 के बीच हैं, जबकि यहां संदिग्ध मामले एक भी नहीं हैं। वहीं, बेल्जियम में कनफर्म केस 1 से 5 हैं और संदिग्ध केस की संख्या भी 1 से 5 के बीच है। कनाडा में कनफर्म केस एक से पांच हैं, जबकि वहां  संदिग्ध केस सबसे अधिक 11 से 20 तक हैं। इसके अलावा, फ्रांस में कनफर्म केस एक से पांच हैं, जबकि संदिग्ध केस भी एक से पांच के बीच हैं। जर्मनी, इटली, यूएसए, नीदरलैंड और स्वीडन में कनफर्म केस की संख्या एक से पांच के बीच है, जबकि यहां संदिग्ध मामले एक भी नहीं हैं। वहीं पुर्तगाल, यूके और स्पेन में कनफर्म केस 21 से 30 के बीच हैं, मगर स्पेन में संदिग्ध मामले भी हैं, जिनकी संख्या 6 से 10 के बीच है। इस तरह अब तक बीते दस दिन में 12 देशों में 92 केस की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 28 संदिग्ध मामलों की जांच चल रही है। 

यौन संबध बनाने में सतर्कता बरतें 
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अब तक सामने आई जांच में पता चला है कि यह बीमारी संक्रमित है और जिन्हें मंकीपॉक्स हुआ है, उनके संपर्क में आने से यह फैल रहा है। हालांकि, अभी इसके महामारी की श्रेणी में आने के संकेत नहीं मिले हैं। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि यौन स्वास्थ्य क्लिनिकों पर सतर्कता ज्यादा बरतनी होगी। यह बीमारी पुरुषों से पुरुषों में यौन संबंध (एमएसएम) बनाने वालों को होने का खतरा अधिक है।  

क्या है मंकीपॉक्स, पहली बार कब सामने आया 
मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है। इसके लक्षण पहले चेचक के रोगियों में जो लक्षण मिलते थे, करीब-करीब वहीं हैं।  हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है। यह मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है, जो पोक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है। मंकीपॉक्स वायरस के दो समूह हैं। मंकीपॉक्स वायरस सबसे पहले 1958 में डेनमार्क की एक लैब में बंदरों में मिला था। वहीं, इंसानों में इसका पहला पहला 1970 में कांगो में एक बच्चे में देखा गया था। 

कैसे फैलता है, कब तक रहता है 
यदि किसी को मंकीपॉक्स बीमारी हुई है तो उसे दूसरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। खासकर संक्रमित व्यक्ति को कहीं चोट लगी है या घाव है तो ध्यान रखें कि इसके संपर्क में कोई चीज नहीं आए। शरीर से निकलने वाला पसीना, पेशाब और नाक से निकल रहा पानी और छींक दूसरों के संपर्क में नहीं आए। बिस्तर और कपड़े भी अलग रखें। मंकीपॉक्स की अवधि अमूमन 6 से 13 दिन की होती है, मगर कई बार यह अवधि 5 से 21 दिन की भी हो सकती है। 

ये हैं लक्षण, सावधानी हटी और दुर्घटना घटी 
मंकीपॉक्स वैसे तो खतरनाक नहीं है, मगर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगों पीड़ित लोग तथा कमजोर इम्युनिटी वाले सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार यह उनके लिए खतरनाक साबित हो जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दस में से एक व्यक्ति के लिए यह बीमारी घातक है। मंकीपॉक्स के कुछ शुरुआती लक्षण भी हैं जैसे कि- तेज बुखार आना, सिर दर्द, सूजन, शरीर में गांठ जैसे घाव जिनमें लिसलिसा तरल पदार्थ भरा हो, कमजोरी आना, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, चेहरे, पीठ, पेट, पैर और जननांगों में दाने हो जाते हैं। इसमें चेचक के टीके सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ एंटीवायरल दवाएं भी विकसित की जा रही हैं।