इस बार झुलसती गर्मी सारे रिकॉर्ड तोड़ने में लगी है. अप्रैल की शुरुआत से ही तापमान का पारा सातवें आसमान पर है. देश के कई हिस्सों में लू चल रही है. गर्मी में झुलस रहे देश को बिजली की ज्यादा जरूरत आ पड़ी है. अप्रैल की शुरुआत में बिजली की मांग पिछले 38 सालों में रिकॉर्ड स्तर पर रही. लेकिन देश के अधिकांश पावर हाउसों में कोयले की भारी कमी के संकेत मिल रहे हैं. ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर फेडरेशन (AIPEF) के मुताबिक कम से कम 12 राज्यों के थर्मल पॉवर प्लांट में कोयले के स्टॉक में भारी कमी आई है.
फेडरेशन के मुताबिक आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड और हरियाणा में कोयले की कमी के कारण बिजली की आपूर्ति में कटौती की जा रही है. फेडरेशन ने तो यहां तक कहा है कि देश में अक्टूबर 2021 से ही कोयले की कमी के कारण बिजली की आपूर्ति में कमी की जा रही है. कुछ स्थानों पर 8-8 घंटे बिजली की कटौती की खबर है जिससे वहां के लोगों को गर्मी में रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है या कोई वैकल्पिक व्यवस्था में जाना पड़ रहा है.
देश में बिजली के उत्पादन में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका है. क्योंकि आज भी देश में बिजली के उत्पादन में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी जीवाश्म ईंधन की ही है. बिजली की कमी ऐसे समय हो रही है जब देश कोविड-19 की बाधाओं से धीरे-धीरे उबरने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में जब लोगों के लिए बिजली में कटौती की जा रही है तो उद्योगों के लिए बिजली में कटौती भी स्वभाविक है.
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ताजा कोल रिपोर्ट के मुताबिक 150 थर्मल पॉवर स्टेशनों में से 81 स्टेशनों में कोयले का स्टॉक तय गाइडलाइन से बहुत नीचे है. ये स्टेशन घरेलू कोयले का इस्तेमाल करते हैं. निजी थर्मल प्लांट की स्थिति भी चिंताजनक है. 54 निजी थर्मल पावर स्टेशनों में से 28 में कोयले की भारी कमी है.
उत्तरी राज्यों में राजस्थान और उत्तर प्रदेश का सबसे बुरा हाल है. राजस्थान के सभी सात थर्मल प्लांट में कोयले की कमी है. इन प्लांटों से 7580 मेगावाट बिजली पैदा होती है. उत्तर प्रदेश के चार थर्मल पावर प्लांट में से तीन में कोयले की कमी है. इन स्टेशनों से 6129 मेगावाट बिजली बनती है.