सभी रिश्ते पहले से बने होते हैं, बस दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे आप खुद बनाते हैं। आज के समय में सच्चे और अच्छे दोस्तों का मिलना मुश्किल है क्योंकि आज लोग पैसा और स्टेटस देखकर दोस्ती करना पसंद करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी दोस्ती के बारे में बताने वाले हैं जो की ऐसी नहीं है। आज की महंगाई के दौर में जहाँ अपने लिए घर खरीदना एक बड़ी बात है वहां एक दोस्त ने अपने झोपड़ी में रह रहे दोस्त को दिवाली के उपहार में एक घर दे दिया।

Childhood friends

हम जिन दो दोस्तों की बात कर रहे हैं वो हैं “मुथुकुमार” और “नागेंद्रन”। ये दोनों दोस्त तमिलनाडु के पुडुकोट्टई के रहने वाले हैं और दोनों ही बचपन से दोस्त हैं। मुथुकुमार 44 वर्ष के हैं और वो ट्रक चलाते हैं। कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन से पहले मुथुकुमार की आर्थिक स्थिति ठीक थी और वो हर महीने लगभग 10-15 हजार रुपये भी कमा लेते थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद उनकी कमाई सिर्फ 1-2 हज़ार रुपये ही हो पा रही थी। इतनी कम कमाई होने के कारण उन्हें अपने परिवार के 6 सदस्यों को पालना मुश्किल हो रहा था।

Muthukumar

मुथुकुमार एक झोपड़ी में रहते थे जिसकी हालत कुछ साल पहले आये चक्रवात के कारण ख़राब हो चुकी थी। अब झोपड़ी जर्जर हो चुकी थी और उसकी छत भी बेकार हो चुकी थी। लेकिन अपनी झोपड़ी ठीक कराने के लिए मुथुकुमार के पास पैसे नहीं थे। एक दिन सितम्बर के महीने में मुथुकुमार को अपने स्कूल के पुराने दोस्त नागेंद्रन की याद आयी। उसके बाद मुथुकुमार अपने दोस्त नागेंद्रन से मिलने के लिए उनके घर चले गए। 30 साल के बाद जब मुथुकुमार नागेंद्रन से मिले तो मुथुकुमार ने नागेंद्रन को अपने घर पर आने का न्योता दिया।

Nagendran

जब नागेंद्रन अपने दोस्त मुथुकुमार के घर गए और उनकी जर्जर झोपड़ी की हालत देखी तो नागेंद्रन को बहुत बुरा लगा और उन्होंने अपने दोस्त की मदद करने की ठानी। नागेंद्रन ने तुरंत अपने TECL स्कूल के दोस्तों का एक व्हाट्सप्प ग्रुप बनाया और उसमे मुथुकुमार के घर की तस्वीरें शेयर कर दी ताकि अन्य दोस्त भी मुथुकुमार के घर को ठीक करने के लिए थोड़ा फण्ड दे सकें। नागेंद्रन ने साथ अन्य दोस्तों ने भी इस नेक काम में उनकी मदद करी और उन्होंने 3 महीने में 1 लाख 50 हज़ार रुपयों को इकट्ठा कर लिया।

Two Friends

इन पैसों से नागेंद्रन ने मुथुकुमार के लिए एक घर तैयार करवाया जो की नागेंद्रन ने मुथुकुमार को दिवाली पर उपहार के रूप में दिया। नया घर पाकर मुथुकुमार और उनके परिवार वाले काफी प्रसन्न हुए। नागेंद्रन ने अपने दोस्त के लिए नेक काम करके निस्वार्थ और सच्ची दोस्ती का एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। नागेंद्रन सब से कहते हैं की भले ही हम अपने दोस्त से रोज मिल न पाए लेकिन जब दोस्त को हमारी जरूरत होती है तो हमें उसकी मदद जरूर करनी चाहिए।