क्या ये संभव है कि एक टीम ने मेगा नीलामी सीजन में, एक खिलाड़ी को न रिटेन किया और न नीलाम में खरीदा, फिर भी वह अगले सीजन में उनके लिए खेल जाए? ये संभव है आईपीएल के ट्रेडिंग नियम की बदौलत। ये मिड-सीजन ट्रांसफर से अलग है।
- खिलाड़ी का टैलेंट बेकार हुआ और साथ ही साथ न खेलने से उसमें निराशा आ जाती है।
- टीम मालिक ने खिलाड़ी पर, जो पैसा खर्च किया उसकी कोई वसूली नहीं हुई। इसकी वजह खराब फॉर्म भी हो सकती है।
ऐसी दोनों स्थिति में टीम यह सोच सकती है कि काश उसकी जगह किसी और विशेषता वाला खिलाड़ी ले लिया होता। ऐसे में वे अगले सीजन, के नीलाम से पहले उस खिलाड़ी की ट्रेडिंग कर सकते हैं, किसी ऐसी टीम के साथ जिसे उस जैसी विशेषता वाले खिलाड़ी की जरूरत है। आईपीएल का रिकॉर्ड बताता है कि कई बार इस नियम से ट्रेडिंग हुई है। खिलाड़ी मैच खेल जाएगा और जिस टीम ने उसे वास्तव में खरीदा था, उसे कुछ पैसा मिल जाएगा। यही है ट्रांसफर विंडो।
कब खुलती है एक फ्रेंचाइजी के लिए, अन्य फ्रेंचाइजी को खिलाड़ियों को बेचने या उनसे खरीदने के लिए ट्रेडिंग विंडो : मेगा नीलाम वाले सीजन के अतिरिक्त, अन्य सीजन में नीलाम से पहले ये विंडो खुलती है और इसके लिए हर बार तारीखें घोषित होती हैं। बेचने के इच्छुक नाम बताते हैं और तब खरीदने वाले ट्रेडिंग करते हैं।
जिस खिलाड़ी को खरीद/बेच रहे हैं, उसकी सहमति जरूरी है क्या : जी हां।
ट्रेडिंग विंडो में कौन से खिलाड़ी आते हैं : सिर्फ वे जो पिछले सीजन में आईपीएल का हिस्सा थे।
दो फ्रेंचाइजी किन शर्तों पर बातचीत करते हैं : सिर्फ खिलाड़ी की फीस पर। प्लेयर कॉन्ट्रैक्ट की अन्य शर्तें वही रहती हैं।
ट्रेडिंग विंडो में यदि एक से ज्यादा फ्रैंचाइज़ी एक ही खिलाड़ी को खरीदने में रुचि दिखाएं तो : बेचने वाली फ्रैंचाइज़ी ये तय करेगी कि खिलाड़ी किसे देना है।
इस विंडो में अधिकतम कितने खिलाड़ी खरीद सकते हैं : कुल चार (विदेशी और टीम इंडिया के खिलाड़ियों को मिलाकर)।
इस विंडो में एक फ्रैंचाइज़ी कितने खिलाड़ियों को बेच सकती है : इसकी कोई सीमा नहीं है।
ट्रेडिंग विंडो किस आईपीएल सीजन में पहली बार खुली थी : 2009 सीजन।
तब ‘आइकन’ खिलाड़ी भी होते थे- क्या उनकी ट्रेडिंग हो सकती थी : नहीं। उदाहरण- मुंबई वाले सचिन तेंदुलकर को बेचने की पेशकश नहीं कर सकते थे।
इस विंडो नियम के अंतर्गत, जो ट्रेडिंग होती रही है, उसका अंदाजा लगाने के लिए पिछले तीन साल का रिकॉर्ड देखते हैं।
2019 सीजन : सबसे चर्चित ट्रेडिंग शिखर धवन की थी- दिल्ली डेयरडेविल्स ने लिया और हैदराबाद ने छोड़ा। दिल्ली को उन जैसे जांबाज बल्लेबाज़ की सख्त जरूरत थी- वे 2018 सीज़न में पॉइंट्स तालिका में सबसे नीचे रहे थे। धवन को को हैदराबाद फ्रैंचाइज़ी ने पिछली आईपीएल नीलामी में राइट टू मैच कार्ड के उपयोग से रिटेन किया था- तो छोड़ क्यों दिया? असल में हैदराबाद ने एक धवन दिया और बदले में डेयरडेविल्स से तीन ज्यादा जरूरत के खिलाड़ी ले लिए- विजय शंकर, शाहबाज नदीम और अभिषेक शर्मा। दिल्ली पर गौतम गंभीर की खराब फॉर्म के कारण मुसीबत आ गई थी और उन्हें नए ओपनर की सख्त जरूरत थी।
2020 सीजन : सबसे चर्चित ट्रेडिंग राजस्थान रॉयल्स ने की- अजिंक्य रहाणे को बेच दिया दिल्ली कैपिटल्स को। रहाणे 2011 से राजस्थान रॉयल्स के साथ थे- 2018 में कप्तान भी थे और कीमत थी 4 करोड़ रुपए। उस साल दिल्ली कैपिटल्स ने किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान अश्विन को भी लिया था- इसी विंडो में।
2021 सीजन : सबसे चर्चित ट्रेडिंग थी- राजस्थान रॉयल्स ने सीएसके को दिया रॉबिन उथप्पा को। उथप्पा 189 आईपीएल मैचों के अनुभवी थे तब और रिकॉर्ड था 24 अर्द्धशतक सहित 4607 रन। इंग्लैंड के लियाम लिविंगस्टोन के कोविड के कारण टीम छोड़ने के बाद चेन्नई को प्लेमेकर की सख्त जरूरत थी। शेन वॉटसन और मुरली विजय भी नहीं थे। उथप्पा में उनको इलाज नजर आया। उथप्पा को राजस्थान रॉयल्स ने आईपीएल 2020 की नीलामी में 3 करोड़ रुपए में खरीदा था पर वे उम्मीदों के मुताबिक स्कोर करने में असफल रहे थे- 2020 सीजन में राजस्थान रॉयल्स के लिए 12 मैचों में उथप्पा ने 16.33 औसत से 196 रन बनाए थे। चेन्नई सुपर किंग्स ने बदले में पैसा दिया। अन्य ख़ास ट्रेडिंग : डेनियल सैम्स और हर्षल पटेल- दोनों दिल्ली कैपिटल्स से रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर।