मार्च से ग्राहकों को महंगाई का करंट लगने वाला है। यह महंगाई आपका बजट बिगाड़ सकती है। पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel Price) से लेकर रसोई गैस (LPG), सीएनजी (CNG), कंज्यूमर एप्लायंसेज, खाने के तेल (Edible oil) और दूध (Milk Rates) सहित कई सारी चीजों में आपको बढ़ी हुई कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं। अकेले पेट्रोल-डीजल की महंगाई से कई वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे। इनमें से कई चीजों में महंगाई का सीधा कारण रूस और यूक्रेन की जंग (Russia Ukraine War) होगी। महामारी की मार के चलते पहले से ही प्रभावित उपभोक्ताओं और कारोबारों को बढ़ी हुई कीमतों से काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। आइए जानते हैं कि मार्च महीने से आने वाली इस महंगाई का असर कितना बड़ा हो सकता है।
महंगे तेल के लिए हो जाएं तैयार
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में पिछले साल दिवाली से कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। जबकि दिवाली के बाद से क्रूड ऑयल (Crude Oil Prices) में काफी उछाल आ चुका है। पिछले साल दिवाली के आस-पास क्रूड ऑयल का भाव 69.52 डॉलर प्रति बैरल था। तब से लेकर अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन क्रूड ऑयल की कीमत बढ़कर 103.28 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंची है। Ballpark के अनुसार, क्रूड ऑयल में प्रत्येक एक डॉलर की बढ़ोत्तरी खुदरा कीमत में 70 से 80 पैसे की बढ़ोत्तरी करती है। इसका मतलब है कि पेट्रोल और डीजल में आठ से दस रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। माना जा रहा है कि 10 मार्च को 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों का परिणाम (Assembly Elections Result) आने के बाद सरकारी तेल कंपनियां तेजी से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर सकती है। रूस-यूक्रेन लड़ाई के कारण क्रूड ऑयल और महंगा हुआ, तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में महंगाई काफी बढ़ सकती है।
सताएगी गैस की महंगाई
दुनियाभर में गैस की भारी किल्लत चल रही है। रूस गैस का एक बड़ा निर्यातक देश है। रूस-यूक्रेन लड़ाई से गैस की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है। इससे देश में सीएनजी (CNG), पीएनजी (PNG) और बिजली की कीमतें बढ़ जाएंगी। इसके अलावा सरकार का फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल भी बढ़ जाएगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना के प्रकोप से बाहर निकल रही है। कारोबार फिर से रफ्तार पकड़ रहे हैं। इससे विश्वभर में एनर्जी की डिमांड बढ़ रही है। कंपनियों द्वारा साल 2021 में गैस की सप्लाई बढ़ाने को लेकर पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने से गैस की कीमत में काफी तेजी आई है।
अब रूस-यूक्रेन लड़ाई यहां आग में घी का काम करेगी। कई यूरोपीय देश गैस आपूर्ती जैसी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर हैं। रूस यूक्रेन लड़ाई से यूरोपीय देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध भी लगा दिये हैं। प्रतिबंधों के और बढ़ जाने पर सप्लाई चेन काफी हद तक प्रभावित होगी। कीमतों में बढ़ोत्तरी से ग्राहकों और उद्योगों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। गैस कई सप्लाई चेन्स के लिए एक आवश्यक उत्पाद है। इस मूलभूत सप्लाई के बाधित रहने से इसका आर्थिक असर काफी विस्त्रित हो सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि घरेलू नेचुरल गैस की कीमत में एक डॉलर का उछाल आने पर सीएनजी का दाम 4.5 रुपये प्रति किलो बढ़ जाता है। अर्थात सीएनजी की कीमत में 15 रुपये प्रति किलो तक बढ़ोतरी हो सकती है।
कढ़ाई में लगने वाला तड़का होगा महंगा
रूस-यूक्रेन की लड़ाई आपकी कढ़ाई में लगने वाले तड़के को भी महंगा कर सकती है। इस लड़ाई से सूरजमुखी के तेल (Sunflower Oil) की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है। इससे घरेलू बाजार में सूरजमुखी के तेल के भाव बढ़ सकते हैं। विश्व में यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। दुनिया में 70 प्रतिशत सूरजमुखी ऑयल यूक्रेन निर्यात करता है। वहीं, 20 प्रतिशत रूस और 10 प्रतिशत अर्जेंटीना निर्यात करता है। इस तरह करीब 90 फीसद सूरजमुखी ऑयल रूस और यूक्रेन निर्यात करते हैं। भारत में लगभग 35 लाख टन सूरजमुखी के तेल का उपयोग होता है। भारत की कुल खाद्य तेल खपत का यह 20 प्रतिशत है। इसमें से अधिकांश आयात होता है।
एसी-फ्रिज भी हो सकते हैं महंगे
जल्द ही हमें एसी और फ्रिज में भी महंगाई देखने को मिल सकती है। इसके पीछे भी कारण रूस और यूक्रेन की लड़ाई है। इस लड़ाई के चलते मेटल्स और मिनरल्स की कीमतें बढ़ने लगी हैं। रूस और यूक्रेन निकल, तांबा और लोहा जैसी धातुओं के प्रमुख वैश्विक उत्पादक देश हैं। इसके साथ ही ये दोनों देश मेटल उत्पादों से जुड़े आवश्यक कच्चे सामानों का निर्माण और आयात भी बड़े स्तर पर करते हैं। रूस पर प्रतिबंधों के डर ने इन धातुओं की कीमतों को और बढ़ा दिया है। इससे घरों में इस्तेमाल होने वाले व्हाइट गुड्स यानी एसी (Air Conditioner), फ्रिज (Fridge) और वाशिंग मशीन (Washing Machine) जैसे बड़े इलेक्ट्रिक एप्लायंसेज महंगे हो सकते हैं। वजह यह है कि इन उत्पादों के निर्माण में स्टील, एल्यूमिनियम जैसे मेटल्स प्रमुख रूप से काम आते हैं। इस समय एल्यूमिनियम की कीमत रेकॉर्ड ऊचाई पर है।
ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन की महंगाई
रूस-यूक्रेन की लड़ाई ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन इंडस्ट्री पर भी भारी पड़ने वाली है। साल 2021 से ही दुनियाभर में माइक्रोचिप्स की कमी देखने को मिली है। ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन इंडस्ट्री इससे काफी ज्यादा प्रभावित है। रूस-यूक्रेन की लड़ाई से माइक्रोचिप्स का संकट बढ़ने का खतरा है। रूस और यूक्रेन दोनों ही नियोन, पैलेडियम और प्लैटिनम के प्रमुख निर्यातक हैं। यह सब माइक्रोचिप्स के उत्पादन के लिए जरूरी हैं। पैलेडियम ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम से लेकर सेमीकंडक्टर, मोबाइल फोन आदि कई जगह उपयोग होता है। रूस पर प्रतिबंधों के तहत अमेरिका रूस की माइक्रोचिप्स की सप्लाई बंद करने की धमकी दे रहा है। माइक्रोचिप्स का संकट ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन इंडस्ट्री में भी महंगाई बढ़ा सकता है।
कढ़ाई में लगने वाला तड़का होगा महंगा
रूस-यूक्रेन की लड़ाई आपकी कढ़ाई में लगने वाले तड़के को भी महंगा कर सकती है। इस लड़ाई से सूरजमुखी के तेल (Sunflower Oil) की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है। इससे घरेलू बाजार में सूरजमुखी के तेल के भाव बढ़ सकते हैं। विश्व में यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। दुनिया में 70 प्रतिशत सूरजमुखी ऑयल यूक्रेन निर्यात करता है। वहीं, 20 प्रतिशत रूस और 10 प्रतिशत अर्जेंटीना निर्यात करता है। इस तरह करीब 90 फीसद सूरजमुखी ऑयल रूस और यूक्रेन निर्यात करते हैं। भारत में लगभग 35 लाख टन सूरजमुखी के तेल का उपयोग होता है। भारत की कुल खाद्य तेल खपत का यह 20 प्रतिशत है। इसमें से अधिकांश आयात होता है।
एसी-फ्रिज भी हो सकते हैं महंगे
जल्द ही हमें एसी और फ्रिज में भी महंगाई देखने को मिल सकती है। इसके पीछे भी कारण रूस और यूक्रेन की लड़ाई है। इस लड़ाई के चलते मेटल्स और मिनरल्स की कीमतें बढ़ने लगी हैं। रूस और यूक्रेन निकल, तांबा और लोहा जैसी धातुओं के प्रमुख वैश्विक उत्पादक देश हैं। इसके साथ ही ये दोनों देश मेटल उत्पादों से जुड़े आवश्यक कच्चे सामानों का निर्माण और आयात भी बड़े स्तर पर करते हैं। रूस पर प्रतिबंधों के डर ने इन धातुओं की कीमतों को और बढ़ा दिया है। इससे घरों में इस्तेमाल होने वाले व्हाइट गुड्स यानी एसी (Air Conditioner), फ्रिज (Fridge) और वाशिंग मशीन (Washing Machine) जैसे बड़े इलेक्ट्रिक एप्लायंसेज महंगे हो सकते हैं। वजह यह है कि इन उत्पादों के निर्माण में स्टील, एल्यूमिनियम जैसे मेटल्स प्रमुख रूप से काम आते हैं। इस समय एल्यूमिनियम की कीमत रेकॉर्ड ऊचाई पर है।
ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन की महंगाई
रूस-यूक्रेन की लड़ाई ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन इंडस्ट्री पर भी भारी पड़ने वाली है। साल 2021 से ही दुनियाभर में माइक्रोचिप्स की कमी देखने को मिली है। ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन इंडस्ट्री इससे काफी ज्यादा प्रभावित है। रूस-यूक्रेन की लड़ाई से माइक्रोचिप्स का संकट बढ़ने का खतरा है। रूस और यूक्रेन दोनों ही नियोन, पैलेडियम और प्लैटिनम के प्रमुख निर्यातक हैं। यह सब माइक्रोचिप्स के उत्पादन के लिए जरूरी हैं। पैलेडियम ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम से लेकर सेमीकंडक्टर, मोबाइल फोन आदि कई जगह उपयोग होता है। रूस पर प्रतिबंधों के तहत अमेरिका रूस की माइक्रोचिप्स की सप्लाई बंद करने की धमकी दे रहा है। माइक्रोचिप्स का संकट ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन इंडस्ट्री में भी महंगाई बढ़ा सकता है।