आज विश्व टीबी दिवस (World TB Day) है। 24 मार्च को हर साल विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाते हैं। भारत सरकार वर्ष 2025 तक देश को टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) रोग से मुक्त करने का प्रयास कर रही है। इसके बावजूद टीबी के मरीज बढ़़ते जा रहे हैं। इसकी एक वजह ये भी है कि अधिकतर लोग टीबी के लक्षणों को छिपा रहे हैं। जिसकी वजह से यह रोग दूसरों को भी प्रभावित कर रहा है। इसके लिए ही स्वास्थ्य विभाग ने एक माह तक टीबी रोगियों को खोजने के लिए अभियान चलाया। वीरवार यानि 24 मार्च को इस अभियान का समापन होगा। इस अभियान के तहत करीब दो हजार मरीज तलाशे गए। उनका इलाज शुरू कर दिया गया है। 



जिले की बात करें, तो वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2021 तक जिले में टीबी के 11 हजार 495 मरीज मिल चुके हैं। वर्ष 2017 में जहां 1610 मरीज मिले थे, वहीं वर्ष 2021 में 2705 मरीज मिल चुके हैं। लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मरीजों की मौत भी हो रही है। पांच वर्ष में 751 लोगों की मौत हो चुकी है। 

निशुल्क उपचार की है सुविधा

टीबी से ग्रस्त मरीजों के उपचार के लिए सिविल अस्पताल में निशुल्क इलाज की सुविधा है। हालांकि कुछ मरीज ऐसे भी हैं। जो निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की कोशिश यही रहती है कि किसी भी मरीज का बीच में इलाज न छूटे, क्योंकि टीबी से ग्रसित एक मरीज अपने आसपास के 15 लोगों को संक्रमण की चपेट में ले सकता है। इससे यह बीमारी और अधिक फैल जाती है। इसलिए ही विभाग की ओर से समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। इसके तहत मरीजों को तलाशा जाता है। मरीज के परिवार के लोगों की भी जांच की जाती है। 

500 रुपये प्रतिमाह मिलता है पोषण भत्ता

टीबी के मरीज को उपचार के दौरान 500 रुपये प्रतिमाह पोषण के तौर पर प्रतिपूर्ति दी जाती है। यदि कोई टीबी रोगी को अस्पताल में लेकर आता है या फिर स्वास्थ्य विभाग को सूचना देता है, तो उसे भी विभाग की ओर से एक बार के लिए 500 रुपये दिए जाते हैं। 

यह हैं टीबी के लक्षण

टीबी ऐसा संक्रामक रोग है। फेफड़ों का टीबी सबसे सामान्य टीबी है। टीबी के मरीजों में खांसी के साथ मुंह से खून भी आता है। यदि किसी को तीन सप्ताह से अधिक खांसी रहती है, तो उसे टीबी के लक्षण हो सकते हैं। सीने में दर्द होना, बुखार व थकान भी टीबी के लक्षण हो सकते हैं।