ट्यूबरक्लोसिस या टीबी की बीमारी भारत में स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती है। देश में टीबी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। टीबी को क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है या बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है जो एक व्यक्ति के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है। आमतौर पर टीबी की बीमारी फेफड़ों में सबसे ज्यादा होती है लेकिन फेफड़ों के अलावा यह समस्या शरीर के कई अन्य अंग जैसे किडनी, रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकती है। भारत में टीबी के एक रूप मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट या एमडीआर टीबी (Multidrug Resistant TB in Hindi) के मरीज सबसे ज्यादा हैं। एमडीआर टीबी, ट्यूबरक्लोसिस का सबसे गंभीर रूप है जिसमें टीबी के इलाज में प्रयोग की जाने वाली ज्यादातर दवाओं का सर नहीं होता है। टीबी का यह स्टेज मरीजों के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है। दुनियाभर में एक आंकड़े के मुताबिक लाखों लोग हर साल इस समस्या से कारण अपनी जान गंवा देते हैं। आइये विस्तार से जानते हैं मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी या एमडीआर टीबी के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में।



क्या है एमडीआर टीबी? (What is MDR TB?)

मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एमडीआर टीबी)  को एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर टीबी) के नाम से भी जाना जाता है। अवध हॉस्पिटल की संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हेमलता के मुताबिक यह टीबी का एक ऐसा स्टेज है जिसमें टीबी के इलाज में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली दवाएं आइसोनियाजिड (Isonaizid) और रिफाम्पीसीन (Rafampicin) का असर न के बराबर होता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया दवाओं के प्रति इतने रेजिस्टेंट हो जाते हैं कि इनका असर बहुत कम होता है। इस समस्या से ग्रसित मरीजों पर टीबी की दवा का असर बिलकुल भी नहीं होता है। एमडीआर टीबी के मरीजों का इलाज बहुत लंबा चलता है और लापरवाही इस समस्या में जानलेवा मानी जाती है।

एमडीआर टीबी के कारण (MDR TB Causes in Hindi)

एमडीआर टीबी की समस्या टीबी के मरीजों में इलाज के दौरान गलत तरीके से दवाओं के सेवन के कारण सबसे ज्यादा होती है। जब मरीज टीबी का इलाज करा रहा होता है उस दौरान टीबी की दवाओं का सही तरीके से सेवन न होने या दुरुपयोग होने की वजह से एमडीआर टीबी हो जाता है। इस समस्या में मरीजों के शरीर में मौजूद ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया दवाओं के प्रति इतने रेजिस्टेंट हो जाते हैं कि इनपर दवाओं का असर बिलकुल भी नहीं होता है। इसके अलावा एमडीआर टीबी का दूसरा सबसे बड़ा कारण एमडीआर टीबी के मरीज के संपर्क में आना है। ऐसे मरीज जो एमडीआर टीबी की समस्या से पीड़ित हैं उनके संपर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है। एमडीआर टीबी के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।

टीबी के इलाज के दौरान इलाज का कोर्स पूरा न करने की वजह से।

गलत तरीके से टीबी की दवाओं का सेवन करने की वजह से।

दवाओं की क्वालिटी खराब होने पर एमडीआर टीबी का खतरा।

टीबी की दवाएं नियमित रूप से न लेने की वजह से।

एमडीआर टीबी के मरीजों के संपर्क में आने की वजह से।

एमडीआर टीबी के लक्षण (MDR TB Symptoms in Hindi)

एमडीआर टीबी के मरीजों में टीबी के जिसे ही लक्षण दिखाई देते हैं। इस समस्या में मरीजों में दिखने वाले लक्षण बेहद गंभीर हो सकते हैं। एमडीआर टीबी के मरीजों में दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।

लगातार खांसी और बलगम आना।

भूख न लगना।

वजन तेजी से कम होना।

हर समय बेचैनी और सुस्ती।

सीने में दर्द लगातार बना रहना।

रात में पसीना आना।

हल्का बुखार और हरारत।

बलगम में खून आना।

खांसते समय खून आना।

एमडीआर टीबी का इलाज (MDR TB Treatment in Hindi)

एमडीआर टीबी या दवा प्रतिरोधी टीबी की समस्या टीबी के पुराने मरीजों में सबसे ज्यादा देखी जाती है। ऐसे मरीज जिनके इलाज में दवाओं का कुप्रबंधन होता है उनमें एमडीआर टीबी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस बीमारी का इलाज लगभग 24 महीने से लेकर 27 महीने तक चल सकता है जिसमें मरीज को रोजाना दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके इलाज में डॉक्टर मरीज की लिवर, किडनी और शुगर से जुड़ी जांच भी करते हैं। इलाज के दौरान मरीजों में दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते हैं। इसलिए मरीजों को हमेशा लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

एमडीआर टीबी के मरीजों को बचाव के लिए इलाज के दौरान दवाओं का सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान दवा की कोई भी खुराक मिस नहीं करनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के आधार पर इलाज जरूर लेना चाहिए। ऐसे लोग जो पहले से टीबी से पीड़ित हैं उनके संपर्क में आने से बचना चाहिए और अस्पताल या ऐसी जगह जहां टीबी के मरीजों का इलाज हो रहा हो वहां पर अनावश्यक रूप से जाने से बचना चाहिए।