पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर हड़ताल हो रही है। पश्चिम बंगाल, केरल समेत अन्य राज्यों में इस हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारी रेल पटरियों पर बैठ गए। इस वजह से ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। हड़ताल की वजह से बैंक भले ही बंद हैं लेकिन एटीएम खुले हुए हैं। इससे पहले केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और बैंक कर्मचारियों की असोसिएशन ने सोमवार और मंगलवार को भारत बंद का ऐलान किया है। वजह केंद्र सरकार की नीतियों से कर्मियों, किसानों और आम लोगों पर पड़ रहे नकारात्मक असर को बताया गया है।
यूनियनों ने अपने संयुक्त बयान में रविवार को कहा, ‘हमारी हड़ताल में रोडवेज, ट्रांसपोर्ट और बिजली कर्मचारी भी शामिल हो गए हैं। कोयला, रेलवे, इंश्योरेंस, डिफेंस, टेलिकॉम, तेल, पोस्टल जैसे अन्य कर्मचारी संगठनों का भी सहयोग मिला है।’ हड़ताल को मिले समर्थन को देखते हुए आम लोगों को दिक्कत हो सकती है। बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट और दूसरी सेवाओं पर असर पड़ सकता है। एसबीआई ने कहा कि दोनों दिन सरकारी बैंकों का कामकाज प्रभावित होगा। ऊर्जा मंत्रालय ने क्षेत्रीय और राज्य कंट्रोल रूम्स को हाई अलर्ट पर रखा है। सभी राज्यों और इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटीज को एडवायजरी जारी कहा गया है कि हड़ताल के दौरान ग्रिड की मेंटनेंस और स्थिरता बनाए रखें।
भारत बंद : क्या खुला, क्या बंद रहेगा?
बैंक बंद रहेंगे। अन्य बैंकिंग सेवाएं भी प्रभावित रह सकती हैं।
ट्रांसपोर्ट सविर्सिज में दिक्कत आ सकती है।
बिजली सप्लाई प्रभावित हो सकती है।
स्कूल-कॉलेज खुले रहेंगे।
आपातकालीन सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रहेंगी।
पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों ने रोक दी ट्रेन
विभिन्न ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत 2 दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के मद्देनजर वाम मोर्चा के सदस्य कोलकाता के जादवपुर रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में इकट्ठा हुए। प्रदर्शनकारियों ने रेल की पटरियों पर बैठ गए। कुछ प्रदर्शनकारी ट्रेन के इंजन पर चढ़ गए। इससे ट्रेन का परिचालन बाधित हुआ।
भारत बंद को लेकर सरकारों के क्या इंतजाम?
पावर मिनिस्ट्री ने रविवार को सभी राज्यों को पत्र भेजकर बिजली सप्लाई सामान्य रूप से जारी रखने को कहा है। आपात स्थिति को संभालने के लिए पावर स्टेशनों पर अतिरिक्त मैनपावर तैनात करने को कहा गया है। हॉस्पिटल, डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रेलवे जैसी जरूरी सेवाओं की बिजली सप्लाई जारी रखने के लिए सभी कंट्रोल रूम को अलर्ट पर रहने के निर्देश हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि कर्मचारी संगठन अभी स्ट्राइक टाल दें। वे इसे भविष्य में किसी अनुकूल तारीख के दिन रख सकते हैं। उधर, पश्चिम बंगाल सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों की सोमवार और मंगलवार को दफ्तरों में अटेंडेंस जरूरी कर दी है। नहीं आने पर सैलरी काटी जाएगी।
किसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं बैंक और ट्रेड यूनियन?
सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर बैंक यूनियन लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। 22 मार्च को हुई एक बैठक में विभिन्न ट्रेड यूनियन ने भी बैंक कर्मियों का साथ देने का ऐलान किया। दोनों पक्षों ने मिलकर सभी कर्मचारी संगठनों से साथ आने की अपील करते हुए 48 घंटे के देशव्यापी बंद की घोषणा की थी।
‘लेबर कोड वापस लेने होंगे’
कामगार संगठन संयुक्त कृति समिति के संयोजक विश्वास उटगी ने कहा, ‘किसान आंदोलन के बाद कृषि कानूनों की तरह सरकार को कई मजदूर विरोधी कानूनों को भी वापस लेना होगा। चार लेबर कोड कुछ पूंजीपतियों के हित के लिए लाए गए है। निजीकरण से मजदूरों के हित प्रभावित होंगे। संगठित क्षेत्र में 20 करोड़ और असंगठित क्षेत्र में 16 करोड़ मजदूर हैं।’
बैंकों में जरूरी इंतजाम
एसबीआई और पीएनबी ने कहा है कि हड़ताल की वजह से सेवाओं पर कुछ हद तक सीमित असर पड़ सकता है। बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संगठनों एआईबीईए, बीईएफआई और एआईबीओए ने हड़ताल का नोटिस दिया है। हालांकि सभी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए जरूरी इंतजाम किए गए हैं।
यूपी से 15 लाख कर्मचारी और मजदूर होंगे शामिल
श्रम संगठनों का दावा है कि यूपी में करीब 15 लाख कर्मचारी और मजदूर इसमें शामिल होंगे। इस दौरान बैंक, डाक, बीएसएनएल, एलआईसी और बिजली विभाग के कर्मचारी काम नहीं करेंगे। इस हड़ताल में ज्यादातर नैशनल बैंकों के अधिकारी यूनियन शामिल नहीं होंगे। इसकी वजह से आम आदमी को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि भारतीय मजूदर संघ को छोड़ कर सभी राष्ट्रीय श्रम संगठन इसमें शामिल होंगे। आम हड़ताल में एटक, इंटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, टीयूसीसी, एलपीएफ सहित कई संगठन भाग ले रहे हैं।