कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) से बचने के लिए जिन सावधानियों को बरतने की सलाह दी गयी, उन सभी गाइडलाइन्स में बार-बार हाथ धोने (Handwashing) की सलाह भी थी। साबुन और पानी से 40 सेकेंड्स लगातार हाथों की मालिश करनी है और उसके बाद पानी से हाथों को धोकर साफ करना है। (Ways to prevent Covid-19 Infection) जिस कोरोना वायरस का कोई निश्चित इलाज नहीं खोजा जा सका है। उससे सुरक्षा के लिए साबुन एक बहुत बड़ी मदद के तौर पर देखा जा रहा है। (Benefits of washing hands with Soap)
जैसा कि हमेशा से हाथ धोने, चेहरे की सफाई और नहाने के लिए साबुन का इस्तेमाल करते आए हैं। इससे, ना केवल शरीर की सफाई होती है। बल्कि, पसीने और स्किन प्रॉब्लम्स को बढ़ाने वाले बैक्टेरिया का भी सफाया होता है। लेकिन, बार-बार साबुन का इस्तेमाल करने से स्किन और हमारी सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है। कई स्टडीज़ और रिसर्च में बार-बार इस बात का ज़िक्र किया जाता रहा है कि, साबुन का अधिक इस्तेमाल हमारी त्वचा के लिए नुकसानदायक साबित होता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि साबुन का बहुत अधिक इस्तेमाल हमारी सेहत पर भी बुरा असर डालता है? (Side Effects of Soap on Health in hindi)
साबुन के बहुत ज़्यादा इस्तेमाल से हेल्थ को होते हैं ये नुकसान (Side Effects of Soap on Health):
हार्मोनल इम्बैलेंस
कुछ समय पहले आयी रिपोर्ट्स में बताया गया कि, नहाने के लिए इस्तेमाल होने वाले साबुनों में ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी की वजह बन सकते हैं। एफडीए ने साबुन में ट्राइक्लोसन और ट्राइक्लोकार्बन जैसे केमिकल्स की मौजूदगी की बात कही जाती है। इन केमिकल्स को हेल्थ के लिए भी बहुत नुकसानदायक माना जाता है।
इम्यूनिटी होती है कम
साबुन के ज़्यादा इस्तेमाल का एक बड़ा नुकसान यह भी है। कुछ स्टडीज़ के अनुसार, साबुन के उत्पादन के समय मिलाए जाने वाले कुछ केमिकल्स (रोसिन और ग्लिसरीन) स्किन एलर्जिस का कारण बन सकते हैं। साथ ही इससे, हमारी इम्यूनिटी पर भी बुरा असर पड़ता है। (Side Effects of Soap on Health)
स्किन पीएस बैलेंस को नुकसान
त्वचा पर कई बार साबुन लगाने से स्किन के नैचुरल ऑयल्स की परत को नुकसान पहुंचता है। इसी तरह स्किन का नैचुरल पीएच बैलेंस बिगड़ जाता है। स्किन की प्राकृतिक नमी कम होने से ड्राई स्किन की प्रॉब्लम हो सकती है। त्वचा कट-फट सकती है। जिससे, बैक्टेरिया को इन स्किन कट्स के माध्यम से बॉडी में पहुंचने प्रवेश करने का रास्ता मिल जाता है। जिससे, कई प्रकार की एलर्जिस और बीमारियों का ख़तरा भी बढ सकता है।