ट्रेड यूनियनों ने 28 और 29 मार्च को दो दिन देशव्यापी हड़ताल (भारत बंद) का ऐलान किया है। यूनियनों का दावा है कि रोडवेज, बिजली कर्मी हड़ताल में शामिल होंगे। बैंक कर्मियों की यूनियनों के एक वर्ग ने भी हड़ताल का समर्थन किया है। इससे कई सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।


हड़ताल के मद्देनजर बिजली मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के आग्रह किया है। सरकार की नीतियों के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और विभिन्न क्षेत्रों की स्वतंत्र श्रमिक संघों ने हड़ताल का आह्वान किया है।

इनकी मांगों में श्रम संहिता को समाप्त करना, किसी भी प्रकार के निजीकरण को रोकना आदि शामिल है। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन ने कहा, हम इस हड़ताल में बैंकिंग क्षेत्रों की मांगों पर ध्यान दिलाने के लिए शामिल हो रहे हैं।

ट्रेड यूनियनों की दो दिवसीय हड़ताल के मद्देनजर बिजली मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के आग्रह किया है।

एसबीआई समेत कई सरकारी बैंकों ने कहा है कि हड़ताल के कारण उनकी सेवाएं कुछ हद तक प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, लोगों की परेशानी को कम करने के लिए बैंकों ने अपनी ब्रांच और ऑफिस में जरूरी व्यवस्था की है। हड़ताल के दौरान ऑनलाइन बैंकिंग भी चालू रहेगी। इससे आप ऑनलाइन पैसों का लेन देन कर सकेंगे।

इसके साथ मंत्रालय ने सीईए, नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर और क्षेत्रीय लोड डिस्पैच सेंटर को नेशनल कन्वेंशन ऑफ वर्कर्स की तरफ से बुलाई गई हड़ताल के दौरान बिजली ग्रिड की विश्वसनीयता और रखरखाव सुनिश्चित करने की हिदायत दी है। नेशनल कन्वेंशन ऑफ वर्कर्स ने 28 मार्च को सुबह छह बजे से 30 मार्च की सुबह छह बजे तक की हड़ताल का ऐलान किया है।

कर्मचारियों की इस हड़ताल को देखते हुए बिजली मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने कहा कि इन दो दिनों के दौरान पहले से तय शटडाउन गतिविधयों को किसी और दिन के लिए पुनर्निर्धारण किया जा सकता है।

इसके साथ किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी महत्वपूर्ण बिजली स्टेशनों पर अतिरिक्त व्यक्तियों को तैनात किया जाए। बिजली मंत्रालय की तरफ से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी बिजली उपयोगिताएं बिजली ग्रिड के चौबीसों घंटे सामान्य कामकाज और सभी संयंत्रों, ट्रांसमिशन लाइनों और सब स्टेशनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करें। मंत्रालय का कहना है कि किसी भी प्रकार की आकस्मिकता से निपटने के लिए एक चौबीस घंटे नियंत्रण कक्ष बनाया जाना चाहिए।