हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। स्नान-दान के साथ पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है। बता दें कि साल में 12 अमावस्या पड़ती हैं। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए साल 2022 में कब-कब, कौन-कौन सी अमावस्या पड़ रही हैं। 



2 जनवरी, रविवार

पौष कृष्ण पक्ष की स्नान-दान श्राद्धादि की अमावस्या 2 जनवरी को पड़ चुकी है। पौष कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। 

1 फरवरी, दिन मंगलवार 
माघ महीने में अमावस्या 31 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से 1 फरवरी की दोपहर पहले 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी यानी ये अमावस्या 2 दिनों की पड़ रही है। बता दें कि जब भी अमावस्या 2 दिनों की होती है तो पहले दिन श्राद्ध की और दूसरे दिन स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाती है, लिहाजा 31 जनवरी को श्राद्ध की और 1 फरवरी को स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाएगी। माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण आदि दान देना चाहिए| इस दिन तिल दान करने से भी पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। 

 2 मार्च 2022, दिन बुधवार 

वर्ष की तीसरी अमावस्या 2 मार्च दिन बुधवार को पड़ रही है। इस दिन अमावस्या तिथि रात 11 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। फाल्गुन महीने में पड़ने वाली इस अमावस्या को फाल्गुनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। फाल्गुनी अमावस्या के दिन शिव योग, सिद्धि योग और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस संयोग में किसी तीर्थ स्थल पर स्नान-दान तथा अपने पितरों का श्राद्ध करना बहुत ही लाभदायक रहेगा।

1 अप्रैल, दिन शुक्रवार 
चैत्र महीने की अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह 1 अप्रैल, दिन शुक्रवार के दिन पड़ पड़ेगी। चैत्र अमावस्या की अमावस्या तिथि 31 मार्च की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से 1 अप्रैल की दोपहर पहले 11 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। चैत्र अमावस्या यानि 1 अप्रैल के दिन ब्रह्म योग और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस दिन व्रत रख स्नान-दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

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 30 अप्रैल, दिन शनिवार 

वैशाख महीने की अमावस्या 30 अप्रैल, दिन शनिवार की रात 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। यह अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है, लिहाजा ये शनिश्चरी अमावस्या होगी। शास्त्रों में शनिश्चरी अमावस्या का बड़ा ही महत्व है। इस दिन पितरों की पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा का विशेष रूप से महत्व होगा। कहते हैं शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा करने, उनके निमित्त उपाय करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं, साथ ही जन्मपत्रिका में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों, जैसे शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से भी छुटकारा मिलता है । वैशाख अमावस्या पर सत्तू का दान करना उत्तम माना जाता है। इसलिए इसे सतुवाई अमावस्या भी कहा जाता है।

 30 मई, दिन सोमवार 

इस साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या 30 मई, दिन सोमवार को पड़ेगी। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है, लिहाजा यह सोमवती अमावस्या होगी। इस दिन अमावस्या तिथि 29 मई की दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से 30 जून की शाम 5 बजे तक रहेगी। ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन शनि देव के पूजन का विशेष विधान है। साथ ही इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये वट सावित्री व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की उपासना करती है। 

29 जून, दिन बुधवार
इस वर्ष आषाढ महीने की अमावस्या 2 दिनों की है। अमावस्या तिथि 28 जून की सुबह 5 बजकर 54 मिनट से 29 जून की सुबह 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगी यानी कि 28 जून को श्राद्ध की अमावस्या और 29 जून को स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाएगी। पंचांग के अनुसार आषाढ़ वर्ष का चौथा महीना है । इस महीने की समाप्ति के बाद वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है। आषाढ़ अमावस्या दान- पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिये किये जाने वाले धार्मिक कर्मों के लिए विशेष फलदायी मानी गई है । इस दिन पवित्र नदी और तीर्थ स्थलों पर स्नान का कई गुना फल मिलता है । 

28 जुलाई, दिन गुरुवार
श्रावण महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या या चितलगी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता हैं। श्रावण के महीने में चारों तरफ हरियाली होती है। इसलिए पुराणों में भी हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाने की बात कही गयी है। व्यक्ति को इस दिन कोई न कोई पौधा अवश्य लगाना चाहिए। इस दिन पीपल की पूजा करने तथा उसकी सात परिक्रमा करने से पितरों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहता है। हरियाली अमावस्या 28 जुलाई, दिन गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन अमावस्या तिथि रात 11 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। 

27 अगस्त, दिन शनिवार 
भाद्रपद महीने में पड़ने वाली अमावस्या की- भाद्रपद में पड़ने वाली इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी या कुशाग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन वर्ष भर किये जाने वाले धार्मिक कार्यों, अनुष्ठानों तथा श्राद्ध आदि कार्यों के लिए कुश इकट्ठा किया जाता है, साथ ही इस दिन स्नान-दान, जप, तप और व्रत आदि का भी महत्व है। इस साल भाद्रपद की अमावस्या तिथि 26 अगस्त की दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। 27 अगस्त, दिन शनिवार को
उदया तिथि अमावस्या होने की वजह से स्नान-दान की अमावस्या 27 अगस्त को मनायी जाएगी। इसके साथ ही शनिवार होने  के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाएगा।

25 सितंबर, दिन रविवार 
अश्विन महीने की अमावस्या के दिन अमावस्या तिथि 25 सितंबर से शुरू होकर 26 सितंबर तड़के 3 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इस दिन अमावस्या तिथि वालों यानी जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की अमावस्या को हुआ हो, उनका श्राद्ध कार्य करने का विधान होता है। इस दिन श्राद्ध करने वाला व्यक्ति अत्यंत सुख को पाता है । 

25 अक्टूबर, 2022 , दिन मंगलवार
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत के शांति पर्व में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कार्तिक अमावस्या का महत्व बताते हुए कहा है, 'यह मेरा प्रिय दिन है और इस दिन मेरी वंदना से मनुष्य के समस्त कष्ट दूर हो जाएंगे'। कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। इस वर्ष यह अमावस्या दो दिनों की होगी। यह अमावस्या 24 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। 

23 नवम्बर, दिन बुधवार
हिन्दी महीनों के अनुसार ये साल का नौंवा महीना है जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस महीने को स्वयं भगवान का स्वरूप माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के अलावा अपने पितरों को श्रद्धा अर्पित करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवम्बर, दिन बुधवार को पड़ेगी।

23 दिसंबर, दिन शुक्रवार
साल 2022 में पड़ने वाली आखिरी अमावस्या  23 दिसंबर, दिन शुक्रवार को पड़ेगी और यह अमावस्या भी पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या होगी यानी कि साल 2022 शुरूआत भी पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या से और समाप्ती भी पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या से होगी।