सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने और इस्तेमाल नहीं किए जाने को लेकर दुनिया भर में अलग-अलग अभियान चलाए जा रहे हैं. कुछ समय पहले खबर आई थी कि समुद्री जीवों के शरीर में माइक्रो-प्लास्टिक पहुंच रहा है, जिससे समुद्री जीवों की अचानक मौत हो रही है. इसी के चलते अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की समुद्री गाय कही जाने वाली डुगोंग स्तनपायी की भी सिंगापुर के समुद्र में मौत हो गई थी. यह मछली दुर्लभ प्रजाति की है और विलुप्त होने के कगार पर है.


अब एक नया अध्ययन सामने आया है जिसके मुताबिक इंसानों के खून में भी प्लास्टिक के कण मिले हुए हैं. अध्ययन के हिसाब से 77 फीसद लोगों के खून में माइक्रो-प्लास्टिक पाया गया है. डच शोधार्थियों ने एक अध्ययन में पाया कि प्लास्टिक के सबसे चर्चित रूप यानी पॉलीइथाइलीन टेरीप्थेलेट (PET) के कण इंसान के खून में मौजूद हैं. PET का इस्तेमाल आमतौर पर पानी की बोतल, खाने और कपड़ों की पैंकिग में किया जाता है.

यह अध्ययन वाकई में चिंता में डालने वाला है. क्योंकि इससे साफ होता है कि लोगों के सांस लेने या खाने के माध्यम से प्लास्टिक के कण उनके शरीर में जा रहे हैं. यही नहीं प्लास्टिक के खून में मिलने से शरीर में क्रोनिक इन्फ्लामेशन की शिकायत बढ़ सकती है. इस अध्ययन में शामिल 22 लोगों के खून के नमूनों की पांच तरह के प्लास्टिक की जांच के लिए जांच की गई. जिसमें पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीस्ट्रीन, पॉलीमिथाइल मेथाक्रायलेट, पॉलीथाइलिन और पॉलीथाइलिन टेरिप्थेलेट शामिल हैं.

सके परिणामों ने शोधार्थियों को चौंका कर रख दिया. 22 लोगों के रक्त नमूनों में से 17 लोगों के खून में प्लास्टिक की अच्छी खासी मात्रा पाई गई. रक्त नमूनों में PET के बाद दूसरा सबसे ज्यादा मौजूद होने वाला प्लास्टिक पॉलीस्टाइरिन भी पाया गया. इसके अलावा तीसरे नंबर पर वैज्ञानिकों को पॉलीथायलिन मिला जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक के बैग बनाने में होता है. अध्ययन के मुताबिक पॉलीथाइलिन, टेरिप्थेलेट की मात्रा परीक्षण किए गए 50 फीसद लोगों के रक्त में पाई गई. वहीं पॉलीस्टीरीन 36 फीसद लोगों के खून में मौजूद था.