केंद्र सरकार की विभिन्न नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के दिन पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों को हर हाल में दफ्तर आने का निर्देश दिया गया है. विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने आगामी 28 और 29 मार्च यानी सोमवार और मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. ट्रेड यूनियनों के मुताबिक केंद्र सरकार की किसान, जनविरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियां के खिलाफ इस हड़ताल (Nationwide Strike) का आह्वान किया गया है. बंगाल में वामपंथी पार्टियों ने समर्थन किया है. इस बीच शनिवार को पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) ने निर्देशिका जारी की है जिसमें साफ कर दिया गया है कि इन दोनों दिनों सरकारी कर्मचारियों की दफ्तर में उपस्थिति अनिवार्य होगी.
बता दें कि हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र और असंगठित क्षेत्रों जैसे योजना श्रमिक, घरेलू कामगार, हॉकर, बीड़ी श्रमिक, निर्माण श्रमिक, रोडवेज ट्रांसपोर्ट वर्कर्स और बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. इसके अलावा बैंकिंग और बीमा सहित वित्तीय क्षेत्र के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल रहेंगे. कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक, आयकर, तांबा, बैंक, बीमा जैसे क्षेत्रों में यूनियनों द्वारा दिए गए हड़ताल का नोटिस दिया गया है. रेलवे और रक्षा क्षेत्र की यूनियनें सैकड़ों स्थानों पर हड़ताल के समर्थन में जन-आंदोलन करने जा रही हैं.
शुक्रवार को ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद का आह्वान किया था. इसी को ध्यान में रखते हुए निर्देशिका में यह भी साफ कर दिया गया है कि शुक्रवार यानी 25 मार्च के बाद अगर किसी भी सरकारी कर्मचारी ने छुट्टी के लिए आवेदन दिया है तो वह स्वीकृत नहीं होगा. आधे दिन की छुट्टी भी स्वीकृत नहीं होगी. हालांकि जो लोग पहले से ही छुट्टी लिए हुए हैं, बीमार हैं, अस्पतालों में भर्ती हैं अथवा जिन कर्मचारियों के घर किसी का निधन हो चुका है उनकी छुट्टियां भी बरकरार रहेंगी और स्वीकृत भी होंगी। निर्देशिका में राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर इन दोनों दिनों कोई भी सरकारी कर्मचारी दफ्तर नहीं आता है तो उसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और अगर उसके जवाब से संतुष्टि नहीं होती है तो उसके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होगी. दूसरी तरफ बैंक भी चार दिनों तक बंद रहेंगे. 28 और 29 मार्च को हड़ताल के कारण जहां बैंक होगा वहीं चौथा शनिवार होने के कारण और रविवार की वजह से दो दिन अतिरिक्त बैंक बंद रहेंगे.
बता दें कि ट्रेड यूनियनों का कहना है कि हाल ही में हुए राज्य चुनावों के परिणामों से उत्साहित होकर, केंद्र की भाजपा सरकार ने नौकरीशुदा लोगों के हितों के खिलाफ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं. जिसमें ईपीएफ ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8.1% कर दिया गया है, पेट्रोल, एलपीजी, मिट्टी का तेल, सीएनजी के दामों में अचानक बढ़ोतरी कर दी गई है. इसके अलावा अपने मुद्रीकरण कार्यक्रम (पीएसयू लैंड बंडल्स) को लागू करने के लिए कदम उठा रहे हैं, लेकिन मुद्रास्फीति की बिगड़ती स्थिति और शेयर बाजारों में गिरावट के कारण उन्हें रोक दिया गया है. ट्रेड यूनियनों ने अपनी बैठक में सरकार के नीतियों की निंदा की है.