हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक बार फिर टूटते हुए परिवार को दोबारा मिलाने की कोशिश की है. तीन दिन के भीतर यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें पति-पत्नी के बीच चल रहे अलगाव में याचिकाकर्ता को ससुराल जाकर रहने की सलाह दी गई है. इसके पीछे न्यायालय का मानना है कि बच्चों की वजह से ही सही, लेकिन पति-पत्नी फिर से साथ रहने के लिए एकमत हो जाते हैं तो यह बेहतर होगा.


पति पर प्रताड़ना के आरोप
दरअसल ग्वालियर की रहने वाली एक महिला ने प्रत्यक्षीकरण याचिका में अपने पति और अन्य ससुरालवालों पर प्रताड़ित करने और घर से बेदखल करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं, महिला ने कहा है कि उसके दो साल के बेटे को पति और सास ने अवैध निरोध में रखा हुआ है. महिला ग्वालियर के सेवा नगर इलाके में रहती है जबकि उसका ससुराल मुरैना में है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व में नोटिस जारी किए थे और दोनों पक्षों को सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए थे.

'ससुराल जाकर रहेगा पति'
न्यायालय में पति ने अपने ऊपर लगाए गए प्रताड़ना के आरोपों को खारिज किया उसने कहा कि पत्नी खुद ही ससुराल छोड़कर मायके रहने पहुंच गई है. वह अभी भी उसे साथ रखने के लिए तैयार है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट को लगा कि पति-पत्नी में उतनी खटास नहीं है कि उन्हें अलग किया जाए. हाईकोर्ट ने अपने स्तर पर दोनों को एक करने के मकसद से पति को एक महीने के लिए ससुराल में रहने की सलाह दी है. अब इस मामले की सुनवाई 22 मार्च को होगी. कोर्ट ने पति को एक महीने के लिए अपने बेटे के साथ ससुराल में रहने के निर्देश दिए हैं.