दुनिया के कुछ अनसुलझे रहस्यों में से एक है - मौत. दुनिया को आंखों से देखकर दिमाग में काफी कुछ सोचने वाला इंसान जब एक झटके में मर जाता है, तो आखिर उसका शरीर इस सच को कैसे स्वीकार करता है? आत्मा और प्राण के निकलने के बाद बेजान शरीर के अंदर क्या-क्या होता है? ये वो सवाल हैं, जिन पर वैज्ञानिकों ने अनगिनत रिसर्च कर डाले हैं. आज इन सवालों से जुड़े हुए 15 ऐसे तथ्य हम आपको बताएंगे, जो किसी ने नहीं बताए होंगे.
मौत का 'दिल' पर क्या असर?
आपने अक्सर सुना होगा कि डॉक्टर इंसान की मौत तब घोषित कर देते हैं, जब उसका हार्ट काम करना बंद कर देता है. ऐसे में सवाल ये है कि दिल में क्या बदलाव होते हैं? जब दिल काम करना बंद करता है तो खून की पंपिंग भी बंद हो जाती है. ऐसे में इंसान के दिल के अंदर खून भरना शुरू हो जाता है. नसों और धमनियों में खून ही खून भर जाता है, क्योंकि इसका प्रवाह खत्म हो जाता है.
शरीर बदलने लगता है अपना रंग
रक्त का प्रवाह बंद होते ही शरीर में बदलाव का दौर शुरू हो जाता है. शरीर दो रंगों में दिखने लगता है. शरीर का निचला हिस्सा स्थिर हो जाता है और ये पीले या सफेद रंग का होने लगता है, जबकि शरीर के ऊपरी हिस्से में जहां खून जमता है, वो लाल या नीले रंग का दिखने लगता है.
बर्फ की तरह ठंडा हो जाता है शरीर
वैज्ञानिक भाषा में इसे Algor mortis हैं. यानि वो परिस्थिति जब आपके शरीर का तापमान तेज़ी से गिरने लगता है. आमतौर पर इंसान का शरीर 37 डिग्री सेल्सियस तक होता है, लेकिन मौत होने के बाद ये 0.8 डिग्री सेल्सियस/घंटा की रफ्तार से ठंडा होने लगता है. इसे ही आम भाषा में शरीर ठंडा होना कहते हैं.
मृत्यु के बाद इंसान का शरीर धीरे-धीरे करके अपना सिस्टम खत्म करता है. (Credit-Pixabay)
शरीर का अकड़ जाना
मौत से कुछ घंटे बाद ही शरीर का हर एक अंग अकड़ने लगता है. शरीर विज्ञान के मुताबि ऐसा adenosine triphosphate का स्तर तेज़ी से गिरने की वजह से होता है. इसकी शुरुआत पलकों के ऐंठने और गले की मांसपेशियों के अकड़ने से होती है.
मांसपेशियां कुछ घंटे बाद भी रहती हैं ज़िंदा
ये सुनने में काफी अजीब है, लेकिन इंसान की मौत के कुछ घंटे बाद तक उसकी मांसपेशियां ज़िंदा रहती हैं. इनमें थोड़ी हरकत या इनका फड़कना देखा जा सकता है. यही वजह है कि कई बार मौत कुछ घंटे बाद भी लगता है कि इंसान का शरीर हिल-डुल रहा है.
चेहरे की झुर्रियां हो जाती हैं गायब
ज़िंदा रहते हुए इंसान चेहरे की जिन झुर्रियों को खत्म करना चाहता है, हैरानी की बात है कि ये उसके मरने के बाद खुद ब खुद खत्म हो जाती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मांसपेशियों मृत हो जाती हैं और झुर्रियां या झाइयां बनाने लायक नहीं बचतीं.
पेट भी साफ हो जाता है
शरीर के ज्यादातर हिस्सा मौत के बाद टाइट होकर अकड़ जाता है, लेकिन कुछ हिस्से अपने आप ढीले हो जाते हैं. इनमें से एक है-मलाशय पर नियंत्रण करने वाला सिस्टम भी. जब इंसान की मौत होती है तो ये नियंत्रण खत्म हो जाता है, ऐसे में शरीर के अपशिष्ट पदार्थ खुद ही शरीर को छोड़कर बाहर आ जाते हैं.
मौत के कुछ घंटों बाद तक मांसपेशियों में हरकत हो सकती है और शरीर हिल-डुल सकता है.
शरीर से आती है दुर्गंध
शव से आने वाली दुर्गंध बहुत ही बेचैन करने वाली होती है. शरीर से प्राण के निकलने के बाद इसका पूरा सिस्टम काम करना बंद कर देता है. ऐसे में मृत हो रही सेल्स से अजीब सी दुर्गंध निकलने लगती है. इनसे एक एंजाइम निकलता है, जिसमें बैक्टीरिया और फंगस भी पैदा होने लगते हैं. इसी के चलते शरीर से दुर्गंध आना शुरू हो जाती है.
प्राण निकलते ही जानवर करते हैं हमला
शरीर के अंदर बैक्टीरिया और फंगस पैदा होते हैं तो शरीर को बाहर से कई जीव-जंतु खाने के लिए आ जाते हैं. वे शरीर के अंदर और बाहर लगकर अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं. चीटियां, मकड़ियां और तमाम ऐसे जीव इंसान के शरीर को किसी दावत से कम नहीं समझते.
शरीर में पैदा होती हैं आवाज़ें
जब मौत के बाद शरीर अकड़ने लगता है तो इससे तरह-तरह की आवाज़े भी आती है. ये आवाज़े कई बार डकार और फार्ट के तौर पर भी सामने आती हैं. अस्पताल में मौत होने पर डॉक्टर और नर्स इन्हें सुनकर दंग भी रह जाते हैं.
शरीर को अंदर से खाते हैं बैक्टीरिया
हमें पता है कि शरीर के अंदर भी हमारे इम्यून सिस्टम में तरह-तरह के बैक्टीरिया होते हैं. ये शरीर से प्राण निकलते ही जंगली हो जाते हैं और हमारे इंटेस्टाइन को खाना शुरू कर देते हैं.
शरीर में सबसे आखिर में जो चीज़ खत्म होती है, वो हमारी हड्डियां हैं.
आंखें बाहर आ जाती हैं जीभ में सूजन
शरीर से प्राण निकलने के बाद डीकंपोज़िशन की प्रक्रिया में आंखों की बॉल्स बाहर निकलकर लटकने लगती हैं और जीभ में सूजन आ जाती है. ये मुंह में ही फूल जाती है.
सेल्स और टिश्यू मरने लगते हैं
शरीर से प्राण निकलने के बाद इसका डीकंपोजिशन जब शुरू होता है तो सेल्स ब्रेक डाउन होने लगती हैं और टिश्यू भी मरने लगते हैं. वैज्ञानिक भाषा में इस प्रक्रिया को putrefaction कहते हैं.
त्वचा हो जाती है ढीली
सेल्स और टिश्यू के डेड होने के बाद त्वचा भी हड्डियों को छोड़ने लगती है और मांसपेशियां फिसलने लगती हैं.
आखिर में हड्डियां छोड़ती हैं साथ
शरीर के डीकंपोज़िशन में आखिरी चीज़ होती हैं- हमारे शरीर की हड्डियां. इंसान के मरने के 10-20 साल बाद शरीर की हड्डियां गलना शुरू होती हैं.