आदि पंच देवों में से एक व कलयुग के एक मात्र दृश्य देव भगवान सूर्य को ज्योतिष में सभी ग्रहों के राजा माना जाता हैं। सनातनधर्मावलंबियों में रविवार सूर्यदेव का वार माना गया है, यानि ये सूर्य देव को समर्पित दिन है। वहीं ज्योतिष में ही सूर्य को आपके मान सम्मान व नौकरी में प्रशासन का कारक माना जाता है।

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पंडित सुनील शर्मा के अनुसार रविवार के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, सूर्य के निमित्त दान-पुण्य करने से बड़े से बड़ा अशुभ भी आसानी से टल जाता है।
वेदों, उपनिषदों व धार्मिक ग्रंथों में सूर्यदेव के महिमा का वर्णन मिलता है। पुराणों में सूर्यदेव की उपासना को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।
सूर्य का महत्व...
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है।

https://www.patrika.com/ashoknagar-news/rashi-parivartan-effects-of-suryadev-on-your-zodiac-sign-4975004/यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है। वहीं सूर्य कुंडली में मुख्यरूप से बुध से योग कर बुधादित्य योग का निर्माण करता है।
सूर्यदेव : भाग्य में राजयोग का निर्माण...
मान्यता है कि रविवार को सूर्यदेव की विशेष आराधना करने से व्‍यक्ति के भाग्य में राजयोग का निर्माण होता है। इस दिन सुबह स्नान आदि कर तांबे के लोटे से सूर्यदेव को गायत्री मंत्र पढ़ते हुए जल चढ़ाने से हर परेशानी दूर होने लगती है।
पंडित शर्मा के अनुसार यदि कोई नौकरी में प्रमोशन या फिर गंभीर बीमारी से निजात पाना चाहते हैं, तो रविवार को भगवान सूर्यदेव को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे मनोकामना पूरी हो सकती है। ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो यदि आपके जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह नीच के राशि तुला में है तो अशुभ फल से बचने के लिए हर दिन सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए।
किसी का कुंडली अशुभ ग्रहों जैसे शनि, राहु-केतु आदि के प्रभाव में है तो वैसे व्यक्ति को भी नियमपूर्वक सूर्यदेव को जल अर्पण करना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान :
शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके और शाम के समय पश्चिम की ओर मुख करके सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाते समय गिरने वाले जल वज्र बनकर रोग का विनाश करते हैं।
सूर्योदय के समय सूर्यदेव को सिर के ऊपर तांबा का पात्र में जल लेकर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करते समय अपनी दृष्टि जलधारा के बीच में रखें, ताकि जल से छनकर सूर्य की किरणें आंखों के बीच में पड़े, इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।